स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारियां निर्वाचन आयोग को सौंप दी हैं। बैंक की चेयरमैन ने कहा कि उनकी तरफ से आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के नाम के साथ-साथ कितने के बॉन्ड खरीदे गए। बैंक की तरफ से बताया गया कि उसने चुनाव आयोग को इन चुनावी बॉन्ड के भुगतान की तारीखों की जानकारी दी है। साथ ही उन राजनीतिक दलों का नाम भी बताया गया है, जिनको इसके जरिए चंदा दिया गया। इसके साथ ही किस दानकर्ता ने कितना चंदा दिया, उसकी वैल्यू के बारे में भी जानकारी मुहैया कराई गई है। स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक अप्रैल 2019 से लेकर इस साल 15 फरवरी तक राजनीतिक दलों को दान के लिए 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 22,030 को राजनीतिक दलों की तरफ से भुगतान के लिए दिया गया। गौरतलब है कि स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग (ईसी) को मंगलवार शाम को ही सौंप दिया था। शीर्ष अदालत ने एसबीआई को चौबीस घंटे के भीतर चुनावी चंदे की जानकारी आयोग को सौंपने का आदेश दिया था। ईसी ने विवरण मिलने की पुष्टि की है। चुनाव आयोग ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के 15 फरवरी और 11 मार्च के आदेश के अनुपालन में एसबीआई द्वारा आज ईसी को चुनावी चंदे की जानकारी प्रदान की गई है। इससे एक दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय में एसबीआई की याचिका पर सुनवाई हुई थी, जिसमें राजनीतिक दलों के भुनाए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। वहीं, उस याचिका पर भी सुनवाई थी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने एसबीआई को राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि एसबीआई 12 मार्च तक ही जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे और चुनाव आयोग 15 मार्च तक चुनावी चंदे के विवरण को सार्वजनिक करे।
शीर्ष अदालत ने खारिज की थी एसबीआई की दलील
एसबीआई की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए थे। साल्वे ने अदालत को बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद एसबीआई ने नए चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगा दी है, लेकिन समस्या ये है कि जो चुनावी बॉन्ड जारी हुए हैं, उससे पूरी प्रक्रिया को पलटना होगा और इसमें समय लगेगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने एसबीआई की दलील मानने से इनकार कर दिया और मंगलवार तक ही जानकारी देने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘आप (एसबीआई) कह रहे हैं कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कवर के साथ एसबीआई की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में है। मिलान प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन हमने आपको मिलान करने के लिए कहा ही नहीं था और हमने सिर्फ स्पष्ट डिस्क्लोजर मांगा था। मामले पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा, ‘आपने बताया कि चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी एक सील कवर लिफाफे में रखी गई है तो आपको सिर्फ सील कवर खोलकर जानकारी ही तो देनी है।’
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