हाल के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (वीवीपीएटी) एक-दूसरे के साथ 100 फीसदी मेल खाते हैं। एएनआई से बात करते हुए, भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक अधिकारी ने कहा, “डेटा ईवीएम और वीवीपैट के बीच 100 प्रतिशत मिलान दिखाता है, जो इसकी सटीकता और प्रामाणिकता साबित करता है। इन पिछले विधानसभा चुनावों में इन दो मशीनों के परिणाम इसकी प्रमाणिकता का पहले की तरह पुन: पुष्टि करता है।”
चार राज्यों – केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम और एक केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में इस साल की शुरुआत में चुनाव हुए थे। आपको बता दें कि हर चुनाव में ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए जाते हैं।
ईवीएम को 1989 में भारत के चुनाव आयोग द्वारा विकसित किया गया था। 2019 के आम चुनावों में भारत के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में VVPAT का उपयोग किया गया था। हालांकि,2014 में VVPAT का उपयोग सिर्फ आठ निर्वाचन क्षेत्रों में ही किया गया था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में 1,492, तमिलनाडु में 1,183, केरल में 728, असम में 647 और पुदुचेरी में 156 वीवीपीएटी मशीन का इस्तेमाल किया गया था।
अप्रैल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि चुनाव आयोग के लिए 2019 के आम चुनाव में प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में पांच ईवीएम में वीवीपैट पर्चियों की भौतिक गणना करना अनिवार्य होगा। देश के शीर्ष न्यायालय का यह निर्देश 21 विपक्षी दलों द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद आया था।
2021 के विधानसभा चुनावों में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को लिखा था और ईवीएम की गिनती के साथ सभी वीवीपीएटी पेपर पर्चियों का मिलान करने के लिए कहा था। नियम के अनुसार, वीवीपैट पर्चियों की संख्या और संबंधित ईवीएम की गिनती के बीच बेमेल होने की स्थिति में, वीवीपैट की गिनती ही मान्य होती है।
EVM पर सवाल उठाने वालों को जवाब- 5 राज्यों के चुनावों में VVPAT में सही पाया गया हर वोट
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