विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव से जुड़े मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि पड़ोसी हमेशा एक पहेली होते हैं। मुझे बताइए कि ऐसा कौन सा देश है जिसकी पड़ोसियों के साथ चुनौतियां नहीं हैं। वहीं, पाकिस्तान के साथ बातचीत और उसके साथ रिश्ते पर विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत का दौर खत्म हो चुका है, उसके साथ कैसे रिश्तों की कल्पना करें। बता दें, इस्लामाबाद में अक्तूबर में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया है। एक स्थानीय समाचार पत्र के अनुसार, विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि 15-16 अक्टूबर को होने वाली बैठक में भाग लेने के लिए देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है। समें एक निमंत्रण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा गया है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर आगे कहा कि हर एक एक्शन का रिएक्शन होता है। जहां तक जम्मू एवं कश्मीर की बात है तो अनुच्छेद 370 समाप्त हो चुका है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ हम किस तरह के रिश्ते के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद और बातचीत को एक साथ नहीं देख सकता है और पाकिस्तान को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना होगा यदि वह भारत के साथ बातचीत करना चाहता है। विदेश मंत्री का यह बयान भारत-पाकिस्तान संबंधों में आए तनाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘हमने अतीत में पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए कई प्रयास किए, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर उनकी दोहरी नीति के कारण यह संभव नहीं हो सका। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान समझे कि बातचीत के लिए उसे आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करना होगा।’
बांग्लादेश सरकार से करेंगे बात
वहीं, बांग्लादेश पर जयशंकर ने कहा, ‘यह स्वाभाविक है कि हम मौजूदा सरकार से बात करेंगे। हमें यह स्वीकार करना होगा कि राजनीतिक बदलाव हुए हैं और वे खतरनाक हो सकते हैं। जाहिर है, यहां हमें एक दूसरे के हितों की पारस्परिकता पर ध्यान देना होगा।’ मालदीव, बांग्लादेश के बारे में उन्होंने कहा, ‘मालदीव के प्रति हमारे दृष्टिकोण में उतार-चढ़ाव आए हैं। यहां एक निश्चित स्थिरता की कमी है। यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें हमने बहुत गहराई से निवेश किया है और मालदीव में यह मान्यता है कि यह संबंध एक स्थिर शक्ति है।’ अफगानिस्तान पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘सामाजिक स्तर पर लोगों के बीच संबंध मजबूत हैं। आज अपनी अफगान नीति की समीक्षा करने के बाद, हम अपने हितों के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। हम अपने सामने मौजूद विरासत में मिली बुद्धिमत्ता से भ्रमित नहीं हैं। हमें यह समझना चाहिए कि अमेरिका की उपस्थिति वाला अफगानिस्तान, अमेरिका की उपस्थिति के बिना वाले अफगानिस्तान से बहुत अलग है।’