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RBI के एक नियम को ढाल बना करोड़ों की ठगी, भंडाफोड़ होने पर सामने आया पूरा मामला

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ठगी (Fraud) का एक नया और दिलचस्प किस्सा सामने आया है। वैसे तो ठगी के ज्यादातर मामले नियम तोड़कर होते हैं। लेकिन इस मामले में ठगों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक नियम को ढाल बनाकर ठगी की है। एक बार नहीं, कई बार ठगी की जो बढ़ते-बढ़ते करोड़ों रुपयों पर पहुंच गई। गाजियाबाद में ठगों के एक गैंग ने पहले फर्जी दस्तावेजों के जरिए क्रेडिट कार्ड बनवाए, फिर एक फर्जी कंपनी खोलकर बैंक से पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन जारी करा ली। ठग क्रेडिट कार्ड से पीओएस मशीन पर स्वाइप करते और फिर ट्रांजेक्शन फेल होने का बहाना बनाकर कार्ड होल्डर के बैंक में कंपनी के लेटर हेड पर सहमति लगाकर शिकायत करते। वहां से सूचना मिलने पर बैंक, पीओएस मशीन देने वाली कंपनी को निर्देश देता और कार्ड होल्डर को रुपये मिल जाते।
5 बदमाशों की हुई गिरफ्तारी
गाजियाबाद में घंटाघर कोतवाली पुलिस ने 5 बदमाशों को गिरफ्तार कर यह खुलासा किया है। आरबीआई को भी इस कमी के बारे में सूचना दी जाएगी। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल का कहना है कि गिरफ्तार आरोपितों के नाम मोमीन खान, अमजद अल्वी, राहुल कुमार, रवि कुमार और फिरोज हैं। उनके पास से पीओएस मशीन, 10 क्रेडिट कार्ड और दूसरे सामान बरामद हुए हैं। इस गैंग को क्रेडिट कार्ड दिलाने वाले राकेश की तलाश की जा रही है।
ऐसे बुना ठगी का तानाबाना
गैंग के बदमाश फर्जी कंपनी तैयार कर उसके नाम से बैंक अकाउंट खुलवाते थे। इस मामले में आरोपितों ने जूते की कंपनी एमके एंटरप्राइजेज के नाम से खोली थी। जनवरी में ठगों ने पंजाब एंड सिंध बैंक से पीओएस मशीन की डिमांड की। बैंक ने सर्वे करने के बाद मशीन दे दी। इसके बाद ठगी का खेल शुरू हुआ। आरोपित पीओएस से होने वाले ट्रांजेक्शन के बाद कार्ड मालिक की तरफ से क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को लेटर लिखकर ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद भी रुपये कटने की जानकारी देते थे। नियम के अनुसार कार्ड होल्डर को संबंधित कंपनी के लेटर हेड पर यह लिखवाकर देना होता है कि रुपये अकाउंट में नहीं आए हैं। पीओएस जारी करने वाला बैंक, पीओएस मशीन की कंपनी को रुपये लौटाने का निर्देश देता था।
पीओएस जारी करने वाली कंपनी ट्रांजेक्ट सर्विस लिमिटेड ने बताया कि उन्होंने आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार, शिकायत मिलने पर कार्ड होल्डर को रुपये लौटा दिए। बाद में जांच हुई तो 30 लाख रुपये के भुगतान का पता चला। इसके बाद केस दर्ज कराया गया। गाजियाबाद पुलिस आरबीआई को इस ठगी के संबंध में पत्र लिखकर जानकारी देगी। डीआईजी अमित पाठक ने बताया कि आरोपितों ने हैरान करने वाली जानकारी दी है। बैंकिंग सेक्टर को जानकारी देना जरूरी है।

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