क्या महाराष्ट्र में भाजपा का कोर वोटर पार्टी से नाराज है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने महाराष्ट्र में भाजपा को अकेले लड़ने का सुझाव दिया है। एनसीपी (शरद गुट) के विधायक और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड का दावा किया है कि भाजपा आगामी चुनाव अपने दम पर लड़ सकती है। आव्हाड ने कहा कि भाजपा और आरएसएस की एक वैचारिक बैठक नागपुर में आयोजित की गई थी। इस बैठक में तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की जीत के बाद महाराष्ट्र में क्या होगा, इस पर मंथन किया गया। इस मंथन में तय हुआ कि भाजपा को राज्य में अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। जिन पर आरोप हैं, जो दागी हैं, उन्हें साथ नहीं लिया जाना चाहिए। एनसीपी विधायक आव्हाड ने दावा किया कि भाजपा के मूल मतदाता भ्रष्ट नेताओं से नाराज हैं। साल 2014 में इन्हीं मतदाताओं ने भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया था। भाजपा की विचारधारा वाले मतदाता अब भाजपा से दूर जा रहे हैं। ऐसे में संघ और भाजपा में एक राय है कि आगामी चुनाव कमल के निशान पर लड़ना चाहिए। खासकर पुणे उपचुनाव के बाद इस सोच को और बल मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे संघ मुख्यालय क्यों गए, यह पता नहीं, लेकिन वे शिवसैनिक बनने से पहले स्वयंसेवक थे। वे संघ की शाखा में भी जाते थे। बता दें कि नागपुर में हुए महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने सहयोगियों के साथ रेशीम बाग स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय गए थे।
…तो कमल चिन्ह पर लड़ना होगा सहयोगियों को चुनाव
जितेंद्र आव्हाड ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा कि जो लोग राजनीति समझते हैं, जो राजनीतिक रूप से जागरुक हैं, उन्हें तुरंत समझ में आ गया होगा कि भाजपा महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ेगी। जो लोग भाजपा के साथ चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें कमल चिन्ह पर चुनाव लड़ना होगा। महाराष्ट्र में आगे क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह तय है कि साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद जो हुआ भाजपा उसे फिर से नहीं दोहराने देना चाहती।