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RT-PCR में निगेटिव होने के बाद भी हो सकते हैं कोरोना पॉजिटिव, गुजरात में सामने आ रहे ऐसे कई केस

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कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच गुजरात में कुछ चौकाने वाले मामले लगातार सामने आ रहे हैं। रैपिड एंटीजन परीक्षण (आरएटी) और फिर आरटी-पीसीआर में निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना बरकरार रहती है। आपको बता दें कि टेस्ट के इस तरीके को बेहतर माना जाता है।
गुजरात भर में डॉक्टरों के सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिसमें मरीज आरटी-पीसीआर टेस्ट में निगेटिव आता है, लेकिन उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) में फेफड़ों में संक्रमण पाया जाता है।
समस्या इतनी विकट हो गई है कि वडोदरा नगर निगम (VMC) ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि यह जरूरी नहीं है कि कोरोना का मौजूदा स्ट्रेन आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव दिखे। इसलिए बीमा कंपनियों और तीसरे पक्ष के प्रशासकों (टीपीए) को इसे कोविड पॉजिटिव मानना चाहिए। महामारी विज्ञान रोग अधिनियम के तहत जारी वीएमसी के आदेश में कहा गया है, “ऐसे मामलों में जहां आरटी-पीसीआर निगेटिव है, लेकिन एचआरसीटी और प्रयोगशाला जांच में वायरल की पुष्टि होती है तो इसे कोरोना के रूप में माना जाना चाहिए।”
वडोदरा के निजी अस्पतालों के एक संगठन SETU के अध्यक्ष डॉ. कृतेश शाह ने कहा, “मैंने ऐसे कई रोगियों को देखा है जो आरटी-पीसीआर में निगेटिव आए हैं, लेकिन उनके रेडियोलॉजिकल परीक्षणों से पता चला है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है। सीटी स्कैन में एक मरीज का स्कोर 25 में से 10 है। इसका मतलब है कि उसके फेफड़े पहले ही प्रभावित हो चुके हैं।”
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. हितेन कारेलिया का कहना है कि उन्होंने कोरोना संदिग्धों को आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ-साथ एचआरसीटी टेस्ट करवाने के लिए कहना शुरू कर दिया है। उन्होंने ने कहा, “हम कई ऐसे मामलों को देख रहे हैं जिनमें मरीज को कोई लक्षण नहीं है। उन्हें सिर्फ हल्का बुखार और कमजोरी है। लेकिन संक्रमण तेजी से फेफड़ों तक फैला रहता है।”
नंद अस्पताल के एमडी डॉ. नीरज चावड़ा ने कहा, “RT-PCR की संवेदनशीलता 70 प्रतिशत है जिसका अर्थ है कि झूठी निगेटिव रिपोर्ट संभावना 30 प्रतिशत है। लेकिन अगर सीटी स्कैन में सबूत है, तो यह कोरोना काम मामला बनता है। ऐसे मामलों में, हम बार-बार परीक्षण के लिए जाते हैं।”
राजकोट में भी ऐसे ही मामले देखने को मिलते हैं। डॉ. जयेश डोबरिया ने कहा, “ऐसे कई मामले हैं जिसमें मरीज कोरोना निगेटिव है।, लेकिन सीटी स्कैन से निमोनिया का पता चलता है। यह सैंपलिंग प्रक्रिया और आरटी-पीसीआर टेस्ट की सीमाओं के कारण हो सकता है, जिसकी सटीकता लगभग 70 प्रतिशत है।”

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