उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आते ही भाजपा विधायकों में हलचल मचनी शुरू हो गई है। भाजपा विधायकों को इस बात का डर बना हुआ है कि इस बार चुनाव में बहुत से विधायकों को टिकट नहीं मिलेगा। इसके लिए बीते तीन दिनों में उत्तर प्रदेश के कई विधायकों ने दिल्ली दरबार में हाजिरी लगानी शुरू कर दी है। दरअसल ये हाजिरी भाजपा के उत्तर प्रदेश चुनाव प्रभारियों की लगातार बैठकों के चलते ज्यादा शुरू हुई हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई विधायकों के टिकट कटने तय माने जा रहे हैं। इनमें से कई विधायक ऐसे हैं, जो लगातार भाजपा के विरोध में न सिर्फ बयानबाजी करते आ रहे हैं बल्कि सत्ता पक्ष के लापरवाह रवैये के विरोध में जिला प्रशासनिक मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कई विधायकों के बारे में उत्तर प्रदेश भाजपा आलाकमान को इस बात की जानकारी मिली है कि वे दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं। पूर्वांचल से भाजपा के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें ऐसा इशारा मिला है कि शायद इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा। वे कहते हैं कि लगातार पार्टी में वह कार्यकर्ताओं के लिए लड़ाई लड़ते रहे। इसलिए वह कई बार विरोध में प्रशासन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन तक करने बैठ गए। वह अपने क्षेत्र की जनता की आवाज बुलंद कर रहे थे, लेकिन पार्टी आलाकमान को उनके बारे में विरोधी बताकर टिकट कटवाने की साजिश की जाने लगी। इसीलिए वह दिल्ली में अपने परिचित सांसद से मिलने और अपनी पैरवी लगाने के लिए पहुंचे हुए हैं।
कामकाज के प्रदर्शन के आधार पर कटेंगे टिकट
दरअसल भाजपा ने माइक्रो लेवल पर अपने विधायकों का फीडबैक लेने के लिए कई चरण की तैयारियां की हैं। जिसमें संघ से लेकर और कई संगठन तक विधायकों का पूरा रिपोर्ट कार्ड न सिर्फ तैयार कर रहे हैं बल्कि उसका बारीकी से अवलोकन भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले दो महीने से विधानसभा वार सर्वे किया जा रहा है। हालांकि उनका कहना है ऐसा सर्वे हर विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां करती हैं। लेकिन भाजपा से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि यह तय है कि इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में कई जीते हुए विधायकों को टिकट नहीं मिलेगा। इसकी वजह तो वह खास नहीं बताते हैं, लेकिन उनका कहना है कि जो फीडबैक है उसके आधार पर विधायकों के टिकट निश्चित तौर पर कटेंगे।
पूर्वांचल के एक सांसद के आवास पर गुरुवार को ऐसे कुछ विधायकों की एक बैठक भी हुई, जिसमें वे लोग शामिल थे जिनके टिकट कटने की संभावनाएं ज्यादा थीं। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पूर्वी जिलों से आए विधायकों ने सांसद से न सिर्फ पैरवी की, बल्कि अपना पूरा लेखा-जोखा लेकर उनसे इस बात के लिए सिफारिश लगाने की गुजारिश भी की कि उनका टिकट ना काटा जाए। भाजपा से जुड़े एक नेता का कहना है कि दरअसल उन विधायकों में सबसे ज्यादा खलबली मची हुई है, जो लगातार किसी दूसरी पार्टी के संपर्क में हैं या जबकि कुछ का प्रदर्शन उतना बेहतर नहीं है। ऐसे में इन विधायकों का टिकट काटा जाना तय हो चुका है।
दरअसल सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में उत्तर प्रदेश के सह चनाव प्रभारी अनुराग ठाकुर समेत कई केंद्रीय मंत्रियों की टीम ने उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों की समीक्षा की थी। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत तमाम बड़े मंत्री और भाजपा के कई पदाधिकारी शामिल थे। उसी बैठक के दौरान यह तय हो गया था कि आने वाले विधानसभा चुनाव में जिन विधायकों का प्रदर्शन बेहतर नहीं है उनका टिकट काट दिया जाएगा सूत्रों के मुताबिक भाजपा के 100 से ज्यादा विधायकों का टिकट कट सकता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर भाजपा की ओर से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन सभी विधायकों का पूरा लेखा-जोखा उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी और सह चुनाव प्रभारी समेत प्रदेश प्रभारी के पास भेजा जा चुका है।
UP Assembly Election 2022: भाजपा में हलचल तेज, कटेंगे 100 से ज्यादा विधायकों के टिकट, दिल्ली में शुरू हुईं बैठकें
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