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अगस्त के मुकाबले सितंबर रहा सस्ता, घटी थोक महंगाई दर, पर दो अंकों से नीचे नहीं

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ऑल इंडिया होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) पर आधारित थोक महंगाई की वार्षिक दर में सितंबर महीने में राहत दिखी है। भारत सरकार की ओर से जारी Wholesale Price Index पर आधारित आंकड़ों के अनुसार सितंबर में थोक महंगाई दर 10.7% दर्ज की गई है। अगस्त 2022 में यह आंकड़ा 12.41 प्रतिशत था। वहीं, सितंबर 2021 में यह दर 11.80 प्रतिशत थी। wholesale inflation

थोक महंगाई दर में सितंबर में लगातार चौथे महीने गिरावट दर्ज की गई है। यह 18 महीनों के सबसे निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि, पिछले डेढ़ वर्ष से यह 10 फीसदी के स्तर से ऊपर बनी हुई है। सितंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में आई तेज गिरावट खाद्य पदार्थों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी आने के कारण दर्ज की गई है। बता दें कि शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) की ओर से थोक महंगाई दर से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सितंबर 2022 में थोक मुद्रास्फीति मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेलों, खाद्य पदार्थों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन व रासायनिक उत्पादों, बुनियादी धातुओं, बिजली, वस्त्र आदि की कीमतों में वृद्धि से प्रेरित है। सितंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त महीने की तुलना में 12.37 प्रतिशत के मुकाबले कम होकर 11.03 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि सब्जियों की महंगाई सितंबर महीने के दौरान बढ़कर 39.66 फीसदी हो गई, जो अगस्त में 22.29 फीसदी थी। ईंधन और बिजली के मामले में मुद्रास्फीति सितंबर में कम होकर 32.61 प्रतिशत पर आ गई जो अगस्त में 33.67 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में थोक महंगाई दर क्रमशः 6.34 प्रतिशत और (-) 16.55 प्रतिशत रही। बता दें कि आरबीआई मुख्य रूप से मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने रिजर्व बैंक की ऊपरी सहिष्णुता सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर रही और सितंबर में 5 महीने के उच्च स्तर 7.41 प्रतिशत पर रही। अत्यधिक उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस वर्ष रेपो को चार बार बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया है जो अप्रैल 2019 के बाद सबसे अधिक है।

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