अदाणी समूह के मुद्दे पर विपक्ष के जोरदार हमले के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार है। शुक्रवार को जारी अनुमोदन रेटिंग में यह सामने आया है कि लगभग दो तिहाई लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज को लेकर संतोष जताया है। विपक्षी दल सरकार पर उद्योगपति गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले अदाणी समूह को अनुचित समर्थन देने का आरोप लगाते हुए संसद में पिछले तीन दिनों तक जमकर हंगामा किया और कार्यवाही नहीं चलने दी। अमेरिकी शॉर्ट सेलर की आक्रामक रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के बाजार मूल्य में 110 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। गौतम अदाणी अमीरों की सूची में भी पीछे खिसक गए हैं। इस साल कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का मुद्दा बना लिया है और सरकार पर अदाणी को बचाने का आरोप लगा रहे हैं। विपक्ष की तरफ से इस पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की जा रही है। इस सब के बाद पोलिंग एजेंसी सी-वोटर की तरफ से कराए गए सर्वेक्षण के नतीजे भाजपा के लिए जहां खुशी देने वाले हैं, वहीं विपक्ष के लिए किसी सदमा से कम नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस हफ्ते संसद में अदाणी का नाम लिए बिना विपक्ष पर करारा पलटवार किया और कहा था कि 1.4 अरब लोगों के भरोसे के कवच को विपक्ष के झूठे आरोप तोड़ नहीं पाएंगे। पांच फरवरी तक कराए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि विपक्ष के तमाम आरोपों और हमलों के बाद भी पीएम मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है और उनकी सरकार के प्रति लोगों का भरोसा बना हुआ है। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 50 फीसदी लोगों ने कहा कि वे प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के कामकाज से बहुत ज्यादा संतुुष्ट हैं। 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पीएम मोदी के काम से बहुत हद तक संतुष्ट हैं। ये दोनों ही रेटिंग उसी स्तर की है जैसी पिछले साल नवंबर में कराए गए सर्वेक्षण में थी। इसका मतलब है कि पिछले साल नवंबर से अब तक पीएम मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। इस साल जनवरी में एक पत्रिका के लिए सी-वीटर की तरफ से कराए गए सर्वेक्षण में शामिल 72 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी के काम को अच्छा बताया था, जो पिछले अगस्त के 66 प्रतिशत की तुलना में अधिक था। अदाणी समूह की तरफ से अपने खाते को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने के संबंध में अमेरिका स्थित संस्थान हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। हालांकि, अदाणी समूह के साथ ही सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी किसी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है, लेकिन हंगामा कम नहीं हो रहा है। भाजपा का भी कहना है कि हिंडनबर्ग की तरफ से उठाए गए मुद्दों का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है।
अदाणी विवाद के बावजूद पीएम मोदी की लोकप्रियता बरकरार, दो तिहाई लोगों ने कामकाज पर जताया संतोष
92