हाल ही में श्रीसंत से विवाद को लेकर चर्चा में आए गौतम गंभीर ने 2011 वनडे विश्व कप को लेकर एक बार फिर से बड़ा बयान दिया है। गंभीर ने 2011 विश्व कप जीत की बहस को एक बार फिर से उठाते हुए सुझाव दिया कि कैसे कुछ खिलाड़ियों का पीआर (पब्लिक रिलेशन) उन्हें हीरो बनाता है, जबकि अन्य को ‘अंडरडॉग’ के टैग से संतोष करना पड़ता है। गंभीर ने पूर्व भारतीय ऑलराउंडर युवराज सिंह का उदाहरण दिया, जिन्हें 2011 विश्व कप में भारत के विजयी अभियान के बाद प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। हालांकि, गंभीर को लगता है कि युवराज को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए वह मान्यता नहीं मिलती है जिसके वह हकदार हैं। एक इंटरव्यू में गंभीर ने कहा कि युवराज को वह पहचान नहीं मिली जिसके वह हकदार थे क्योंकि उनके पास अच्छी पीआर एजेंसी नहीं थी। भारत के पूर्व ओपनर ने खिलाड़ियों के लिए पीआर एजेंसियों के रूप में काम करने के लिए ‘ब्रॉडकास्टर्स’ पर भी निशाना साधा। यह पूछे जाने पर कि जब तक भारत जीता, तब तक माही की पारी आपकी पारी पर भारी पड़ चुकी थी। इसके जवाब में गंभीर ने कहा, ‘जब लोग पारी या कम रेटिंग वाले खिलाड़ियों के बारे में बात करते हैं, तो वे वास्तव में वे हैं जो किसी भी चीज की सराहना करना नहीं जानते, क्योंकि किसी को भी कम आंका नहीं जाता है। गंभीर ने कहा, ‘अगर आज मेरे पास मशीनरी है और मुझे दो लोगों को चुनना है जहां मैं एक व्यक्ति को दो घंटे पचास मिनट के लिए दिखाता हूं और दूसरे व्यक्ति को केवल 10 मिनट के लिए दिखाता हूं, तो दो घंटे और 50 मिनट के लिए दिखाया गया व्यक्ति एक ब्रांड बन जाएगा। फिर यह मत कहो कि जब हम दूसरे लड़के को दिखाते हैं तो हमें नंबर नहीं मिलते क्योंकि दूसरा आदमी ब्रांड नहीं है। जब आपने दूसरे व्यक्ति को नहीं दिखाया, तो आपने दूसरे व्यक्ति को महत्व नहीं दिया। जब तक आप दूसरे व्यक्ति को महत्व नहीं देंगे, वह खुद को महत्व नहीं देगा और देश उसे कैसे महत्व देगा।
‘अब युवराज के बारे में कौन बात करता है?’ 2011 विश्व कप को लेकर गंभीर के बयान ने फिर मचाया बवाल
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