देश में माल परिवहन की बढ़ती लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी लेकर आई है। इस नई नीति का मकसद उत्पादों के निर्बाध आवागमन को बढ़ावा देने के साथ ही माल ढुलाई की लागत को कम करना है। इसके साथ ही देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करना और माला भाड़ा कम करना है, जिसका सीधा असर वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ेगा और कीमतें कम होंगी। देश में अभी लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 16 फीसदी है। जबकि चीन में यह 10 फीसदी, अमेरिका और यूरोप में आठ फीसदी है। पीएम नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय की भूमिका है। इसके लिए मोदी सरकार जलमार्ग, रेलवे, सड़क के बाद अब हवाई मार्ग को भी लोकप्रिय साधन बनाने के दिशा में काम कर रही है। केंद्र सरकार अगले पांच सालों में देश के कई शहरों में हवाई सेवा और एयरपोर्ट विकसित कर रही है। जबकि माल ढुलाई के लिए अब एयर कार्गो की लागत को भी कम करने की कवायद चल रही है। पिछले दिनों ही पीएम मोदी ने कहा था कि देश में लॉजिस्टिक लागत को कम कर चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की बराबरी करने के लिए यह नई नीति लाई गई है। सरकार तकनीक के उपयोग से लॉजिस्टिक क्षेत्र को मजबूत कर रही है खासकर ड्रोन का इस्तेमाल के साथ-साथ सीमा शुल्क और ई-वे बिल का इलेक्ट्रॉनिक मोड से मूल्यांकन किया जाएगा। भारत अभी लॉजिस्टिक लागत में विश्व में 44वें स्थान पर है। पीएम मोदी ने कहा है कि भारत को विकसित देशों का प्रतिस्पर्धा बनना है। इसलिए अपने उत्पादों को विश्व स्तरीय बना कर दुनिया के बाजार पर कब्जा करना होगा। देश में नई नीति आने के बाद इसमें मदद मिलेगी। भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। ऐसे में एक ही पोर्टल से हवाई मार्ग, रेल मार्ग, सड़क मार्ग और समुद्री मार्ग से सामान भेजना आसान हो जाएगा। सरकारी एजेंसी अब शिपिंग कंपनियों, आईटी से जुड़े हितधारक, बैंक, कंटेनर और बीमा कंपनियों से मिलकर लॉजिस्टिक व्यवस्था बनाएगी।
अब सामान भेजना होगा सस्ता, नई लॉजिस्टिक पॉलिसी आने से मिलेंगे ये फायदे
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