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आदित्य ने ठाकरे ने CM और BMC पर निशाना साधा, कहा- मुंबई में अस्पतालों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया

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शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई में सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है और बुनियादी दवाएं भी खत्म हो गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बीएमसी प्रशासन और केंद्रीय खरीद विभाग से समर्थन की कमी के कारण बीएमसी द्वारा संचालित अस्पताल नागरिकों की सेवा करने में ‘पूरी तरह से असहाय’ हैं। ट्विटर पर एक पोस्ट में आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह अस्पतालों की दुर्दशा के बारे में इसलिए ट्वीट कर रहे हैं क्योंकि बीएमसी केवल तभी प्रतिक्रिया देता है जब बात सार्वजनिक डोमेन में होती है। मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इस अवैध मिंधे-भाजपा के लुटेरे शासन ने जिस तरह से मुंबई में नागरिक सेवाओं को चलाया है, उसे देखकर दुख होता है। ठाकरे ने आरोप लगाया, ‘बीएमसी प्रशासन एक साल से सीधे ठेकेदार मंत्री (सीएम) कार्यालय से चलता है, यह केवल बिल्डरों-ठेकेदारों की सेवा करता दिखाई देता है, लेकिन लोगों की नहीं।’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (अविभाजित) ने पिछले साल पार्टी के विभाजन से पहले 1997 से 2002 तक 25 वर्षों तक बीएमसी को नियंत्रित किया था। वर्तमान में बीएमसी के मामलों को प्रशासक द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जिसे पिछले मार्च में नागरिक निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नियुक्त किया गया था, लेकिन चुनाव अभी तक नहीं हुए हैं। आदित्य ठाकरे ने यह भी दावा किया कि सायन अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी सेवाओं का समर्थन करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल में बुनियादी दवाओं, चिकित्सा दस्ताने और एक्स-रे फिल्म का स्टॉक खत्म हो रहा है। फिर भी बीएमसी प्रशासन ने अभी तक इसका पूरी तरह से समर्थन नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘बीएमसी प्रशासन और सीपीडी के लिए यह अजीब है कि बीएमसी अस्पताल सीपीडी के लिए निर्धारित काम करेंगे। यह एक ऐसा विभाग है जो नए मिंधे-भाजपा शासन के तहत अपना काम भूल गया है।’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टरों की पदोन्नति एक साल से रुकी हुई है और बीएमसी अस्पतालों में भी कई पद खाली पड़े हैं। पदोन्नति कब होगी और पद कब भरे जाएंगे?

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