सरकार की ओर से पिछले 10 वर्षों में चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं के कारण भारत अगले पांच वर्षों में अपनी प्रति व्यक्ति आय को करीब दोगुना कर लेगा। यह दावा किया है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने। उन्होंने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित करते हुए ये बातें कही। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों से आने वाले दशकों में आम आदमी के जीवन स्तर में सबसे तेज वृद्धि होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि हाल के दशक में भारत का महत्वपूर्ण आर्थिक प्रदर्शन पांच वर्षों में उसके 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक पहुंचने में साफ नजर आता है।उन्होंने कहा, ‘‘जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमानों के अनुसार हमें 2,730 अमेरिकी डॉलर की प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 75 साल लगे, लेकिन इसमें 2,000 अमेरिकी डॉलर और जोड़ने में केवल पांच साल लगेंगे। आने वाले दशकों में आम आदमी के जीवन स्तर में सबसे तेज वृद्धि देखी जाएगी, जो वास्तव में भारतीयों का एक युग होगा….।’’ उन्होंने कहा कि भारत एक खंडित दुनिया में जहां लगातार कई संघर्ष बदतर हो सकते हैं जिससे वैश्विक शांति के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है जो समृद्धि का आधार है… ऐसे माहौल में अपनी 1.4 अरब की आबादी (जो वैश्विक कुल का 18 प्रतिशत है) के लिए कुछ वर्षों में अपनी प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह असमानता में कमी के साथ हासिल किया जा रहा है, क्योंकि ग्रामीण भारत के लिए गिनी गुणांक (आय असमानता बेंचमार्क) 0.283 से घटकर 0.266 हो गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 0.363 से घटकर 0.314 हो गया है। सीतारमण ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि ये सुधार जारी रहेंगे क्योंकि पिछले 10 वर्षों के आर्थिक तथा संरचनात्मक सुधारों के प्रभाव आने वाले वर्षों में आंकड़ों में अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होंगे क्योंकि अर्थव्यवस्था से कोविड-19 वैश्विक महामारी का झटका कम हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि 2047 तक जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर लेगा, तब नए भारतीय युग की मूल विशेषताएं विकसित देशों के समान होंगी। मंत्री ने कहा कि विकसित भारत विचारों, प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति के जीवंत आदान-प्रदान का केन्द्र बनकर न केवल भारतीयों के लिए बल्कि शेष विश्व के लिए भी समृद्धि लाएगा। देश की वित्तीय प्रणाली पर उन्होंने कहा, ‘‘भारत के बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता और मजबूती…परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधार, खराब ऋणों के लिए प्रावधान में वृद्धि, निरंतर पूंजी पर्याप्तता तथा लाभप्रदता में वृद्धि पर लगातार नीतिगत ध्यान द्वारा समर्थित है।’’ एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) अनुपात कई वर्षों के निचले स्तर पर है और बैंकों के पास अब ऋण वसूली का कुशल तंत्र हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना हमारी मुख्य नीति प्राथमिकताओं में से एक है कि वित्तीय प्रणाली बेहतर बनी रहे..।’’
‘आने वाले दशकों में भारत में लोगों का जीवन स्तर बड़े पैमाने पर बदलेगा’, बोलीं वित्त मंत्री
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