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इलेक्टोरल बॉन्ड पर अदालत के निर्देशों का करेगा पालन चुनाव आयोग, सीईसी बोले- हम पारदर्शिता के पक्ष में

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मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को ओड़िसा दौरे के दौरान चुनावी बॉन्ड पर आयोग का रुख साफ किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग इलेक्टोरल बॉन्ड या चुनावी बॉन्ड के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करेगा। पत्रकारों से बात करते हुए, कुमार ने कहा कि आयोग हमेशा सूचना प्रवाह और भागीदारी में पारदर्शिता के आधार पर काम करता है। कुमार ने कहा, ”शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में आयोग ने कहा है कि वह पारदर्शिता के पक्ष में है और जब आदेश जारी होगा, वह उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार कार्रवाई करेगा।” ईवीएम के बिना चुनाव कराने पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक मामले से जुड़े एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “निर्णय आने दें, यदि आवश्यक होगा तो अदालत के निर्देश के अनुसार बदलाव किए जाएंगे।” सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। अदालत ने टिप्पणी की थी कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। चुनावी बॉन्ड योजना ने एक तरह से राजनीतिक दलों को गुमनाम धन हासिल करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद करें। अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग से साझा करने के लिए कहा है। चुनावी बॉन्ड एक वचन पत्र की तरह होता है जिसमें भुगतानकर्ता और प्राप्तकर्ता का विवरण होता है। चुनावी बॉन्ड में लेनदेन में पार्टियों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि चुनावी बॉन्ड पूरी तरह से गोपनीय होता है। इसकी जानकारी केवल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को ही होती है।
चुनावी बॉन्ड को कौन खरीद सकता है?
चुनावी बॉन्ड को भारत में कोई भी व्यक्तियों या कंपनी खरीद सकती है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की देशभर में फैली 29 शाखाओं को चुनावी बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत किया गया है। चुनावी बॉन्ड को प्रत्येक वर्ष जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों के लिए बेचा जाता है। खरीदार की पहचान एसबीआई को छोड़कर सभी के लिए गुमनाम रहती है। बॉन्ड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को धन के योगदान के लिए जारी किए जाते हैं। ये बॉन्ड एसबीआई द्वारा जारी किए जाते हैं और कम से कम 1,000 रुपये में बेचे जाते हैं जबकि अधिकतम सीमा नहीं है। इस योजना के तहत कॉर्पोरेट और यहां तक कि विदेशी संस्थाओं द्वारा दिए गए दान पर 100% कर छूट मिलती है।