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उच्च शिक्षा में अधिक प्रभावी हो सकता है महिलाओं का नेतृत्व, राष्ट्रपति ने की एनईपी की तारीफ

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का नेतृत्व अधिक प्रभावी हो सकता है। बेटियों को अगर मौका मिलता है तो वे बेहतर प्रदर्शनी करती है। वह मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय विजिटर कांफ्रेंस में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएमईआर समेत अन्य दिग्गज शीर्ष संस्थानों के निदेशकों को संबोधित कर रही थी। उन्होंने विभिन्न आईआईटी, एनआईटी की रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि बेटियों को मौका देने से ही आज प्रौद्योगिकी में उनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसीलिए मेरा मानना है कि विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग में बेटियों की उपस्थिति और उत्कृष्टता बढ़ाने पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय, विशेषकर महिलाओं को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि दुनिया की पहली महिला कुलपति नियुक्त करने का गौरव हमारे देश को जाता है। वडोदरा विश्वविद्यालय की कुलपति हंसा मेहता ने एक अच्छा विश्वविद्यालय विकसित करके इतिहास रचा है। उदाहरण सभी कुलपतियों और निदेशकों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि व्यक्ति, समाज और देश की प्रगति के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। अधिकांश युवाओं के लिए, उच्च शिक्षा सबसे प्रभावी तरीका है कि विपरीत परिस्थितियों से बाहर आएं। राष्ट्रपति ने एनईपी 2020 को लागू करने के लिए डिजिटल इंडिया का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि ”डिजिटल इंडिया” पहल के माध्यम से भारतीय समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और देश की अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल के परिणाम बहुत प्रभावशाली रहे हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से आने वाले युवाओं को न्यायसंगत और समावेशी उच्च शिक्षा प्रदान करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्राथमिकताओं में से एक है। इसलिए हमें इस पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि एनईपी का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है। मुझे विश्वास है कि उच्च शिक्षण संस्थान वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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