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उत्तर भारतीयों के साथ बनी खाई को पाटना चाहते है उद्धव ठाकरे

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शिवसेना के टूटने के बाद उद्धव ठाकरे उत्तर भारतीयों के बीच बनी खाई को पाटना चाहते हैं। उत्तर भारतीय समाज को अपना परिवार बताते हुए उद्धव ने कहा कि उनके लिए हमारे घर का दरवाजा हमेशा खुला है। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से पूर्व सांसद रमेश दुबे की आत्मकथा ‘मेरी अमृत यात्रा’ के विमोचन समारोह में उन्होंने उत्तर भारतीयों को साथ आने का न्योता दिया। मुंबई के उत्तर भारतीय संघ भवन मे आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उत्तर भारतीय समाज और शिवसेना के बीच दरार पैदा हो गई थी। लेकिन, अब हम एक साथ हैं। उत्तर भारतीय रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आए और अब उन्होने इसे अपनी कर्मभूमि बना लिया है। पूर्व मंत्री रमेश दुबे भी अंधेरी से विधायक रहे हैं। अंधेरी उपचुनाव में जीत से उत्साहित ठाकरे ने कहा कि अब पूर्व और वर्तमान दोनो विधायक हमारे साथ हैं। उद्धव ने कहा कि पहले थोड़ी कमजोरी थी, लेकिन अब ताकत और बढ़ गई है। उन्होंने मुंबई के उत्तर भारतीय समाज के लिए रमेश दुबे के योगदान की सराहना की। एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि रमेश दुबे तबेले से निकलकर राजनीति में आए। उनका जीवन संघर्षमय रहा है। हम दोनों अलग-अलग दल में रहे, फिर भी हमारे बीच बहुत प्रेम था। लेकिन अब राजनीति बदल गई है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के निवासी रमेश दुबे 11 साल की उम्र में मुंबई आए थे। भैंसों के तबेले में काम किया और टैक्सी चलाई। 25 साल की उम्र में पार्षद चुने गए। उसके बाद विधायक और महाराष्ट्र में मंत्री बने। बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से सांसद भी चुने गए। इस अवसर पर पूर्वमंत्री रमेश दुबे ने कहा कि सेवा के माध्यम से राजनीति में आया। हमेशा निस्वार्थ भाव से काम करने की कोशिश करता रहा हूं। हमारे पूर्वजों ने परिश्रम से खुद को स्थापित किया। मुंबई का प्रत्येक उत्तर भारतीय इसे अपनी कर्मभूमि मानता है। कार्यक्रम में पूर्वमंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी, उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष आरएन सिंह और पूर्व विधायक योगेश मिश्र आदि मौजूद थे।

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