महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अब अपने अस्तित्व को लेकर खतरे में हैं। चुनाव में एक सीट भी अपने नाम नहीं कर सकी मनसे पर अब एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल और रेलवे इंजन चुनाव चिह्न खोने का खतरा बना हुआ है। महायुति द्वारा जीते गए चुनावों में राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए 125 उम्मीदवारों में से कोई भी, जिसमें उनके पुत्र अमित ठाकरे भी शामिल थे, जीत हासिल नहीं कर सका। इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व विधायक दल के सचिव अनंत कलसे ने पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने एक राजनीतिक दल के लिए अपनी मान्यता और चुनाव चिह्न बनाए रखने के लिए भारत के चुनाव आयोग के मानदंडों को समझाया। उन्होंने कहा, ‘मान्यता बनाए रखने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम एक सीट जीतनी चाहिए और कुल वोट शेयर का आठ प्रतिशत हासिल करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दो और विकल्प है कि छह फीसदी वोट के साथ दो सीटें जीतनी चाहिए, या तीन फीसदी वोट के साथ तीन सीटें जीतनी चाहिए। अगर इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती है तो चुनाव आयोग पार्टी की मान्यता रद्द कर सकता है।’
मनसे रही काफी पीछे
उन्होंने कहा, ‘मनसे केवल 1.8 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही। साथ ही कोई सीट जीतने में भी नाकामयाब रही। यह तय नियमों से काफी कम है। ऐसे में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है और इस मामले पर फैसला ले सकता है। वह मनसे को नोटिस भेजकर उसकी मान्यता रद्द कर सकता है।’ अनंत कलसे ने कहा कि अगर पार्टी की मान्यता रद्द कर दी जाती है तो वह रेलवे इंजन के अपने आरक्षित चुनाव चिह्न की हकदार नहीं होगी और इसके बजाय उसे अगले चुनाव के लिए उपलब्ध चुनाव चिह्न चुनना होगा। हालांकि, पार्टी के नाम पर इसका असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है, 2009 में चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के बाद यह पहली बार है, जब राज ठाकरे की पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही है। 2009 में पहली बार हुए चुनाव में पार्टी ने 13 सीटें जीती थीं। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी के पास एक-एक विधायक था। पार्टी के खराब प्रदर्शन पर ठाकरे ने कहा था कि नतीजे अविश्वसनीय है।