गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा को 2008 में एक शब्द का मैसेज भेजा था। यह एक शब्द था ‘वेलकम’। यही वह मैसेज था जिसके बाद टाटा नैनो परियोजना पश्चिम बंगाल से गुजरात पहुंच गई थी। गुजरात के तत्कालीन सीएम मोदी (अब प्रधानमंत्री) ने रतन टाटा को यह एसएमएस उस समय भेजा था, जब रतन टाटा ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस प्रेस वार्ता में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी की अगुवाई में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल से टाटा नैनो परियोजना के विदाई की घोषणा की थी। मोदी ने 2010 में साणंद में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश से निर्मित टाटा नैनो संयंत्र का उद्घाटन करते हुए कहा था, “जब रतन टाटा ने कोलकाता में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे पश्चिम बंगाल छोड़ रहे हैं, तो मैंने उन्हें ‘वेलकम’ (स्वागत है) कहते हुए एक छोटा एसएमएस भेजा था। और अब आप देख सकते हैं कि एक रुपये का एसएमएस क्या कर सकता है।” टाटा ने 3 अक्टूबर 2008 को पश्चिम बंगाल से नैनो परियोजना के बाहर निकलने की घोषणा की थी और कहा था कि अगले चार दिनों के भीतर गुजरात के साणंद में संयंत्र स्थापित किया जाएगा। मोदी ने तब कहा था कि कई देश नैनो परियोजना के लिए हरसंभव मदद देने को इच्छुक हैं, लेकिन गुजरात सरकार के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि परियोजना भारत से बाहर न जाए। उन्होंने सरकारी मशीनरी की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यकुशलता में कॉर्पोरेट संस्कृति से मेल खा रही है तथा राज्य के तीव्र विकास में प्रमुख भूमिका निभा रही है। जून 2010 में साणंद संयंत्र से पहली नैनो कार के उत्पादन के समय टाटा ने संयंत्र की स्थापना में सहायता के लिए मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की सराहना की थी। टाटा ने कहा था, “जब हमने नैनो के लिए एक और प्लांट की तलाश की, तो हम शांति और सद्भाव की दिशा में आगे बढ़ना चाहते थे। गुजरात ने हमें वह सब कुछ दिया जिसकी हमें जरूरत थी। मोदी ने हमें बताया, ‘यह सिर्फ टाटा की परियोजना नहीं थी, यह हमारी परियोजना है।’ हम समर्थन और हम पर दिखाए गए विश्वास के लिए बहुत आभारी हैं।” टाटा मोटर्स ने 2018 में नैनो कारों का उत्पादन बंद कर दिया।
एक रुपये वाला एक शब्द का ‘मैसेज’, और नैनो परियोजना पश्चिम बंगाल से पहुंच गई गुजरात, जानिए किस्सा
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