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‘एससी आयोग में दो अहम पद खाली, सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का सबूत’, राहुल गांधी का बड़ा हमला

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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में दो अहम पद खाली हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का एक और सबूत है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को जल्द से जल्द आयोग के सभी पद भरने चाहिए, ताकि यह दलितों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी प्रभावी रूप से निभा सके। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की वेबसाइट के अनुसार, आयोग के उपाध्यक्ष तथा एक सदस्य का पद रिक्त है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘भाजपा सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का एक और सबूत देखिए! दलितों के अधिकारों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को जानबूझकर उपेक्षित कर दिया गया है – इसके दो अहम पद पिछले एक साल से खाली पड़े हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसे कमजोर करना दलितों के संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों पर सीधा हमला है। राहुल गांधी ने सवाल किया कि आयोग नहीं तो सरकार में दलितों की आवाज कौन सुनेगा? उनकी शिकायतों पर कार्रवाई कौन करेगा? उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, जल्द से जल्द आयोग के सभी पद भरे जाने चाहिए, ताकि यह दलितों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी प्रभावी रूप से निभा सके।’ इससे पहले देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि जब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है, तब आधी रात को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का फैसला लेना प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के लिए अपमानजनक और अशिष्ट है। राहुल गांधी ने एक्स पर एक पत्र साझा करते हुए पोस्ट में लिखा था कि अगले मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए हुई समिति की बैठक के दौरान मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया था। इसमें कहा गया था कि कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहब आंबेडकर और हमारे राष्ट्र निर्माताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जवाबदेह ठहराऊं।