#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

‘ओटीटी पर सेंसरशिप होनी चाहिए, सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए ये जरूरी है’, बोले एक्टर रजा मुराद

22

फिल्मों की रिलीज से पहले उन्हें सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलता है। अगर फिल्मों में कोई आपत्तिजनक संवाद या दृश्य हो तो उस पर सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप जैसी चीज नहीं है। अभिनेता रजा मुराद का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी सेंसरशिप होनी चाहिए। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से ओटीटी कंटेंट की रेगुलेटिंग पर चर्चा की और इसे जरूरी बताया।

एयरपोर्ट सुरक्षा जांच का दिया उदाहरण
एएनआई से बात करते हुए रजा मुराद ने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए कंटेंट को विनियमित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप होनी ही चाहिए। देखिए, सेंसरशिप एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग एरिया की तरह है। हर चीज वहां नजरों से होकर गुजरती है। वहां कैमरे और स्कैनर होते हैं। इसलिए, अगर आप कोई अवैध सामान ला रहे हैं, तो उसका पता लग जाता है और उसे रोक दिया जाता है’। रजा मुराद ने आगे कहा कि सेल्फ सेंसरशिप नहीं होने से इस प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक कंटेंट को बच्चे सीखते और फिर बोलते हैं। एक्टर का कहना है ‘आप वहां एयरपोर्ट पर कस्टम की जांच से गुजरते हैं। यहां हमारे पास एक संस्था है, सेंसर बोर्ड, जो फिल्मों की समीक्षा करती है। चूंकि सेल्फ-सेंसरशिप नहीं हो रही है और ऐसे आपत्तिजनक शब्द और संवाद हैं, इसलिए बच्चे उन्हें सीखते हैं और बोलना शुरू करते हैं’। अभिनेता ने आगे कहा, ‘मेरा मानना है कि अगर इस स्वतंत्रता का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, तो सेंसरशिप होनी चाहिए। और अगर वे सीमा पार करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए’। रजा मुराद ने परदे पर कई मजबूत और यादगार भूमिकाएं निभाई हैं। उन्हें अधिकतर खलनायक के रूप में देखा गया है या उन्होंने रौब वाली भूमिकाएं अदा की हैं। उन्होंने 70 के दशक में करियर शुरू किया था। ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘प्रेम रोग’ और ‘पद्मावत’ उनकी चर्चित फिल्में हैं।