हैदराबाद की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) महाराष्ट्र में किंगमेकर बनने का सपना देख रही है। जय भीम, जय मीम के नारे के साथ महाराष्ट्र के चुनाव मैदान में उतरी एआईएमआईएम ने इस बार पिछले दो बार की तुलना में कम प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन पार्टी अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाने की जद्दोजहद में लगी है। हाल में एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच जुबानी जंग शुरू होने से सियासी पारा चढ़ गया है, जिससे दोनों पार्टियों को अपने लाभ नजर आने लगे हैं। महाराष्ट्र में एआईएमआईएम ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें चार दलित और 12 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। पार्टी ने साल 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से दो सीटों पर जीत दर्ज कर बड़ी कामयाबी हासिल की थी। इससे सूबे में नए सियासी ध्रुवीकरण के संकेत मिले थे। वहीं, 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 44 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन दो ही सीटें हासिल हुईं। पिछली बार एआईएमआईएम ने एक दर्जन सीटों पर विपक्षी गठबंधन कांग्रेस और एनसीपी (अविभाजित) का खेल बिगाड़ा था। इस बार भी पार्टी ने जिन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें ज्यादातर एमवीए यानी कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के सामने हैं, जहां उनका सीधा मुकाबला सत्ताधारी महायुति से है। इधर, ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के पत्र ने सूबे की सियासत में खलबली मचा दी है। उलेमा बोर्ड ने 17 शर्तों के साथ एमवीए का समर्थन किया है, जिससे एआईएमआईएम का गणित बिगड़ने का अंदेशा है, लेकिन इसकी काट के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने तीखे भाषण के लिए पहचाने जाने वाले अपने भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को मैदान में उतार दिया है। इससे पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के वोटबैंक को एमवीए में जाने से रोकने की तरकीब की है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने भी देवेंद्र फडणवीस पर सीधा हमला बोलकर वोट बैंक दुरुस्त करने का इंतजाम किया है।
इन सीटों पर उम्मीदवार
एआईएमआईएम औरंगाबाद मध्य, औरंगाबाद पूर्व, मुंब्रा-कलवा (ठाणे), मालेगांव मध्य, धुले, सोलापुर, नांदेड दक्षिण, करंजा, नागपुर उत्तर, मानखुर्द शिवाजी नगर, भिवंडी पश्चिम, भायखला, कुर्ला, वर्सोवा (मुंबई), मुर्तिजापुर (अकोला) और मिरज (सांगली) पर चुनाव लड़ रही है। मालेगांव मध्य और धुले से एआईएमआईएम के विधायक हैं।