कैब एग्रीगेटर्स Ola-Uber के किराए में अंतर को लेकर लंबे समय से विवाद हो रहा है, लेकिन अब इस विवाद ने एक नया रूप ले लिया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के जरिए गुरुवार को कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को अलग-अलग मूल्य निर्धारण को लेकर नोटिस जारी किया। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने अलग-अलग मोबाइलों, यानी एंड्रॉयड और/या आईफोन पर अलग-अलग कीमतों के दावों के बाद सोशल मीडिया एक्स पर यह बात साझा की। दरअसल Ola-Uber में किराया तय करने का कोई तय पैमाना नहीं है। एक ही जगह का अलग-अलग किराया फोन के मॉडल पर निर्भर करता है या नहीं, यह जांच का विषय है लेकिन यह बात पर जरूर निर्भर करता है कि ग्राहक कितना पुराना है। इसके अलावा कई बार Ola-Uber अपने ग्राहकों को प्रमोशनल ऑफर देती हैं जो ऑटोमैटिक किराए में अप्लाई हो जाते हैं और किराया कम हो जाता है। ऊपर की तस्वीर को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि दोनों में किराया अलग-अलग है, लेकिन ध्यान से देखेंगे तो एंड्रॉयड वाले यूजर को 25% प्रोमो ऑफर मिला है लेकिन आईफोन को नहीं मिला है। इसके अलावा किराया यूजर की रेटिंग पर भी निर्भर करता है। यदि आप बार-बार कैब कैंसिल करते हैं तो आपके लिए किराया अधिक हो सकता है। आपने ध्यान दिया होगा कि गूगल पे पर नए यूजर्स को कैशबैक मिलता है लेकिन पुराने यूजर्स को जो कैशबैक मिलते हैं वो किसी काम के नहीं होते हैं। इसमें एक स्क्रीनशॉट आईफोन 16 प्रो मैक्स का है जिसमें अमर उजाला के नोएडा ऑफिस से करावल नगर दिल्ली का किराया 470 रुपये दिखा रहा है, जबकि सैमसंग गैलेक्सी एस24 पर किराया 472 रुपये है, जबकि दावे के अनुसार आईफोन वाले यूजर्स को किराया अधिक दिखाना चाहिए, क्योंकि दावा यही किया जा रहा है कि महंगे फोन में किराया अधिक और सस्ते में कम दिखाया जा रहा है, लेकिन हमारे फैक्ट चेक में यह गलत साबित हुआ। हमने एक ही समय पर दो अलग-अलग आईफोन में एक ही जगह का किराया चेक किया तो दोनों किराए में अंतर था। इससे साबित होता है कि किराया फोन के मॉडल से नहीं, बल्कि ग्राहकों की विश्वसनीयता और प्रो ऑफर पर निर्भर है।
किराए में अंतर का विवाद ही आधारहीन है, सच्चाई कुछ और है जिस पर किसी का ध्यान नहीं
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