किसी की नौकरी छूट गई है तो किसी का रोजगार बंद हो चुका है,किसी के पास खाने की दिक्कत है तो किसी के पास रहने के लिए छत नहीं, तो किसी की मां गुजर गई है। इन समस्यायों के हर दिन कुर्ला टर्मिनस पर लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है। मुंबई में धारा 144 लागू होने के बाद पहले दिन की यह तस्वीरें हैं। कुर्ला टर्मिनस पर अब उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वालों की लंबी-लंबी कतारें लगना शुरू हो चुकी हैं। कतारें इतनी लंबी है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। सुबह से शाम हो जाती है लेकिन लोगों को घर जाने का मौका ही नहीं मिलता।
दरअसल अब स्टेशन के पास सभी लोगों के टिकट चेक किए जाते हैं जिनके पास कंफर्म टिकट होता है सिर्फ उन्हें ही स्टेशन परिसर में दाखिल होने की इजाजत दी जाती है। चालू टिकट या वेटिंग वाले यात्रियों को स्टेशन परिसर से काफी दूर जाने के लिए कहा गया है। लेकिन मुंबई के बदतर होते हालात और पैसों की तंगी ने लोगों को पलायन पर मजबूर कर दिया है। कुर्ला टर्मिनस पर गोंडा दरभंगा बिहार और कई जगहों पर जाने के लिए लोग आए हुए हैं ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनके पास में टिकट उपलब्ध नहीं है लेकिन लोगों को घर जाना अब ज्यादा मुनासिब और महफूज नजर आ रहा है बनिस्बत मुंबई शहर में रहकर दाने-दाने को मोहताज होना।
लोगों की शिकायत सरकार से भी है उनका कहना है कि सरकार को उनके बारे में सोचना चाहिए था कि मुंबई में रहने वाले प्रवासी मजदूर इस संकट की घड़ी में कैसे रहेंगे और यदि वे अपने घर वापस जाना चाहते हैं तो उन्हें जाने के लिए क्या व्यवस्था करवाई जानी चाहिए। सरकार ने इन तमाम बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब ज्यादातर फैक्ट्रियां बंद है होटलों में खाना मिलना मुश्किल हो रहा है ऐसे में कोई मुंबई शहर में कैसे दिन गुजारेगा।
जहां पर हर एक चीज पैसे से खरीद कर लेनी पड़ती है। लखनऊ के रहने वाले सलीम खान बताते हैं कि वे मुंबई में जरी का काम करते थे लेकिन कई दिनों से उनका कारोबार बंद है अब उनके पास ना तो खर्च करने के लिए पैसे हैं और ना ही मकान का किराया देने की उनकी हालत। ऐसे में घर जाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इन समस्याओं के बावजूद पैसो का बंदोबस्त कर टिकट लेने के लिए जब स्टेशन पर आए तो पता चला टिकट भी उपलब्ध नहीं है। कमोबेश यही नजारा हर उस स्टेशन का है जहां से उत्तर भारत की तरफ ट्रेनें जाती हैं। हालांकि रेल प्रशासन लगातार लोगों से अपील कर रहा है कि वे अतिरिक्त ट्रेनों के जरिए लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह भी उतना ही सच है रेल प्रशासन के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं जिसका फायदा रेलवे के दलाल उठा रहे हैं जो मुंह मांगे दाम पर टिकट उपलब्ध करवाने का दावा करते हैं।
कुर्ला टर्मिनस पर लगी प्रवासी मजदूरों की लंबी लंबी कतारें
664