छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे रविवार को आ गए। बिहार में विपक्षी एकता के बाद भी भाजपा गोपालगंज सीट जीतने में सफल रही। इस सीट पर जीत-हार का अंतर दो हजार से भी कम का रहा। जबकि तीसरे नंबर पर रहे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के उम्मीदवार को 12 हजार से ज्यादा वोट मिले। यही, गुजरात में चुनाव लड़ी रहे प्रमुख दलों की बड़ी चिंता बन गई है। दरअसल, ओवैसी की पार्टी ने गुजरात में भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। गुजरात के प्रमुख दलों की चिंता ये है कि ओवैसी की पार्टी यहां चुनाव भले ना जीत पाए पर उनका गणित जरूर बिगाड़ सकती है। आइए जानते हैं कि AIMIM का गुजरात चुनाव को लेकर क्या प्लान है? इससे किस पार्टी को कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है? इसे समझने के लिए हमने गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार वीरांग भट्ट से बात की। उन्होंने कहा, ‘AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार गुजरात की 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। इसमें कच्छ जिले की अबडासा, मांडवी, भुज, अंजार, गांधीधाम और बनासकांठा की वडगाम, पाटण जिले के सिद्धपुर सीट के साथ अहमदाबाद की मुस्लिम बहुल वाली पांच सीटों पर लड़ने का फैसला किया है। इनमें वेजलपुर,दरियापुर, जमालपुर खाड़िया, दानीलिमड़ा सीटें शामिल हैं। इसके अलावा एआईएमआईएम की सूची में देवभूमि द्वारका की खेड़ब्रह्मा के साथ जूनागढ़, पंचमहाल,गिर सोमनाथ, भरूच, सूरत, अरवल्ली, जामनगनर, आणंद और सुरेंद्र नगर की कुछ सीटों को भी शामिल किया गया है।’ भट्ट ने कहते हैं, ‘ओवैसी जानते हैं कि 30 सीटों पर चुनाव लड़कर वह गुजरात में सरकार नहीं बना सकते हैं, लेकिन इसके जरिए वह मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट जरूर कर सकते हैं। यही कारण है कि उन्होंने ऐसी 30 सीटों को चिन्हित किया है, जहां मुस्लिम आबादी 30 से 60 प्रतिशत तक है।’ वीरांग भट्ट कहते हैं, ‘गुजरात विधानसभा चुनाव के जरिए ओवैसी लोकसभा के लिए तैयारी कर रहे हैं। इस चुनाव में अपने 30 उम्मीदवार उतारकर ये देखना चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्हें इसका कितना फायदा मिल सकता है। इसके जरिए वह यहां से कितने उम्मीदवार उतार सकते हैं। बता दें कि गुजरात में 26 लोकसभा सीटें हैं और सभी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।’
दूसरे दलों को कितना नुकसान होगा?
वीरांग कहते हैं, ‘गुजरात में मुसलमानों की आबादी करीब 10 प्रतिशत है। 30 से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी से ज्यादा हैं। इन्हीं सीटों पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी प्रमुख ओवैसी का क्रेज मुस्लिम युवाओं में काफी अधिक है। ऐसे में एआईएमआईएम प्रत्याशी को काफी मुस्लिम वोट मिलने की उम्मीद है। मुस्लिम वोटों का अगर बंटवारा होता है तो इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। हालांकि, ओवैसी ये बंटवारा करने में सफल रहेंगे ऐसा जरूरी नहीं भी है। इसके उदाहरण पहले भी मिलते रहे हैं। जैसे- ओवैसी को बिहार में सफलता मिली। वहीं, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में वह बुरी तरह असफल भी रहे हैं। जबकि, उत्तर प्रदेश में 19 फीसदी से ज्यादा तो पश्चिम बंगाल में 27 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है।’ फरवरी 2021 में गुजरात नगर निकाय चुनाव हुए थे। तब एआईएमआईएम ने भी अपने कई प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। इनमें से 26 वार्डों पर एआईएमआईएम की जीत हुई थी। अहमदाबाद की सात सीटें, गोधरा में छह, मोडासा में नौ और भरूच की एक सीट इसमें शामिल है।