राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित पहले क्षेत्रीय सम्मेलन में भारत के न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने शिरकत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों की न्याय संबंधी जरूरतों को बढ़ाना जरूरी है। चंद्रचूड़ ने कहा, न्याय तक पहुंच केवल जन समर्थक न्यायशास्तर को तैयार करते नहीं की जा सकती, बल्कि अदालत के प्रशासनिक पक्ष में सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है। बुनियादी ढांचे में सुधार, कानूनी सहायता सेवाओं को बढ़ाना प्रमुख हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, कम प्रतिनिधित्व वाली आबादी की न्याय संबंधी जरूरतों पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। न्याय की अवधारणा को ऐतिहासिक रूप से केवल एक संप्रभु देश की सीमा के भीतर ही लागू किया गया। लेकिन वर्तमान युग में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जटिलता को देखते हुए न्याय की हमारी अवधारणाएं भी बदल गई है। गौर करने वाली बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सभी देशों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा, भूमध्य सागर से लेकर एशिया-प्रशांत तक धन में सार्वभौमिक बदलाव हुआ है। दावा किया जा रहा है कि चार सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में तीन ग्लोबल साउथ से होंगे। ग्लोबल साउथ के देशों के बीच सहयोग की यह प्रतिबद्धता हमें कानून के शासन को बढ़ावा देने और बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कानून तक पहुंच के लिए कई प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा, इसके लिए सबसे बड़ा हथियार तकनीक है। जिसका प्रयोग करते हम अदालत कक्षों को लोगों के करीब ला रहे हैं।
क्षेत्रीय सम्मेलन में ‘कानून तक पहुंच’ मुद्दे पर चर्चा, CJI चंद्रचूड़ ने कही यह बात
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