गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों की टीम लगातार मेहनत कर रही है। अकेले प्रधानमंत्री मोदी अब तक दो दर्जन से ज्यादा रैलियां-रोड शो कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस ने इसे भाजपा का डर बताते हुए हमला किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि भाजपा को अपनी हार का डर सता रहा है, यही कारण है कि वे गली-गली, वार्ड-वार्ड में घूमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। एक प्रधानमंत्री होते हुए उन्हें इस तरह के चुनाव प्रचार से दूर रहना चाहिए। मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को अहमदाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि बड़े स्तर के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के नेता भाग लेते हैं और राज्य स्तर के चुनाव में राज्य स्तर के नेताओं को ही आगे रहना चाहिए। लेकिन भाजपा अपने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य मंत्रियों को उतारकर यह बता रही है कि उसे चुनाव में हार का डर सता रहा है, यही कारण है कि वह किसी तरह अपनी हार टालने के लिए उसके नेता एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। खरगे ने कहा कि गुजरात ने देश को एक से बढ़कर एक रत्न दिये हैं जिन्होंने केवल गुजरात को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को आगे बढ़ाने का काम किया है। गांधी-पटेल से लेकर अनेक नाम इस मामले में गिनाए जा सकते हैं। लेकिन भाजपा अब पटेल के बहाने कांग्रेस पर हमला करने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नेता पूरे देश के होते हैं, और उनके नाम पर सियासत नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा आरोप लगाती है कि कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया। ये उनका जुमला है। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि जब वे नहीं थे, कांग्रेस गुजरात के लिए काम कर रही थी। आज भी कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूरे हिंदुस्तान की फौज सिर्फ गुजरात में लगा दी है और हमारे लोग गांव-गांव में, बूथ लड़ रहे हैं। हम यह चुनाव जीतेंगे। दरअसल, कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी इस समय भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। अब तक वे चुनाव के बीच केवल एक दिन के लिए समय निकाल सके और दो रैलियों को संबोधित कर सके। प्रियंका गांधी के बारे में लगातार अनुमान लगाया जा रहा था कि राहुल गांधी की अनुपस्थिति में वे हिमाचल प्रदेश की तरह समय निकालेंगी और कांग्रेस के चुनाव प्रचार को गति प्रदान करेंगी। लेकिन अज्ञात कारणों से वे अब तक ऐसा नहीं कर सकी हैं। उलटे वे राहुल गांधी के साथ मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने पहुंच गई हैं। चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि अब तक की तस्वीर देखने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस यह सब पूरी सोची-समझी रणनीति के साथ कर रही है। वह गुजरात-हिमाचल में समय लगाने की बजाय 2024 को निशाने पर रखते हुए अपनी जड़ों को मजबूत करने का काम कर रही है। उसे लगता है कि यदि वह राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी तो गुजरात-हिमाचल जैसे राज्यों के चुनाव आसानी से जीते जा सकेंगे। अगले वर्ष भी नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी शामिल होंगे। 2024 के चुनाव के पहले इनमें जीत हासिल करना पार्टी के लिए 2024 की दष्टि से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस पूरा फोकस अपने आपको मजबूत करने में लगा रही है। हालांकि, चुनावी रणनीतिकारों के मुताबिक, भाजपा के 27 साल में गुजरात में एंटी-इनकमबेंसी फैक्टर काफी मजबूत हो चुका है। यदि कांग्रेस इस माहौल में मेहनत करती तो उसे इसका लाभ मिल सकता था। वह इस चुनाव में जीत हासिल कर सकती थी। लेकिन बड़े उद्देश्य को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से कांग्रेस और राहुल गांधी की छवि मजबूत करने में लगा रखी है। उसे इसका बेहतर परिणाम मिल सकता है।
पूरी ताकत से लड़ते हैं चुनाव
वहीं, भाजपा नेता सुदेश वर्मा ने अमर उजाला से कहा कि उनकी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व हर चुनाव को बेहद गंभीरता से लेता है। यह पार्टी को मजबूत करने तक का ही मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण के लिए अवसर लेने का मामला है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा कार्यकर्ता देखता है कि उसके केंद्रीय नेता चुनाव में पूरे जी-जान से लगे हुए हैं तो वह स्वयं भी पूरी ताकत के साथ चुनाव में जुट जाता है और पार्टी को सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं पर प्रचार करने के लिए हमला कर कांग्रेस अपनी नाकामी छुपाना चाहती है।
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