सुप्रीम कोर्ट
गुजरात दंगे मामले में एसआईटी द्वारा तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ जाकिया जाफरी की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने दलील दी कि एसआईटी जांच को हेड करने वाले अधिकारी आरके राघवन को बाद में हाई कमिश्नर ( उच्चायुक्त) बनाया गया। उन्होंने दलील के दौरान आरोप लगाया कि जिनका भी सहयोग था उन्हें बाद में उच्च पद दिए गए।
‘SIT ने बड़ी खामियां की हैं’
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच के सामने जाकिया जाफरी की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि आरके राघवन सीबीआई डायरेक्टर रह चुके हैं, वह एसआईटी के हेड थे उन्हें बाद में अगस्त 2017 में साइप्रस का उच्चायुक्त बनाया गया। इसी तरह अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर पीसी पांडेय को बाद में गुजरात का डीजीपी बनाया गया। इस मामले की छानबीन में एसआईटी ने काफी खामियां की है और अहम साक्ष्य को नजरअंदाज किया और सही तरह से मामले की छानबीन नहीं की। दरअसल एसआईटी सिर्फ बैठी रही थी।
‘कमिश्नर क्या कर रहे थे, सब जानते हैं’
सिब्बल ने आगे दलील दी कि एनएचआरसी ने शिकायत की थी कि स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी का जो निष्कर्ष है वह मुख्य तथ्यों से परे है। 27 फरवरी को हिंसा हुई थी। उसके बाद अंतिम संस्कार हो रहा था। अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर ने कहा था कि सबकुछ शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है। एसआईटी का निष्कर्ष यह था कि सबकुछ शांतिपूर्ण था लेकिन तथ्य इसके विपरीत था और इन बातों की छानबीन नहीं हुई।
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