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गुजरात पुलिस ने 14 एजेंटों के खिलाफ दर्ज किया मामला, मानव तस्करी और सबूत नष्ट करने का आरोप

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गुजरात पुलिस ने निकारागुआ उड़ान मामले में बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने 14 एजेंटों के खिलाफ मानव तस्करी और सबूत नष्ट करने का मामला दर्ज किया है। उन पर मैक्सिको सीमा से साठ से ज्यादा लोगों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने का प्रयास करने का आरोप है। कुछ हफ्तों पहले भारतीयों को लेकर जा रहे विमान को फ्रांस में खड़ा कर दिया गया था। बाद में उसे वापस भारत भेज दिया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। गुजरात सीआईडी (अपराध एवं रेलवे) की ओर से एक विज्ञप्ति जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि एजेंट गुजरात, दिल्ली, मुंबई और दुबई से हैं। इनमें से ज्यादातर गुजरात से हैं। प्राथमिकी में नामजद एजेंटों में दिल्ली के जोगेंद्र उर्फ जग्गी पाजी और जोगिंदर मानसराम, मुंबई के राजा भाई और राजू पांचाल और दुबई के सलीम शामिल हैं। जबकि, अन्य आरोपियों में चंद्रेश पटेल, किरण पटेल, भार्गव दर्जी, संदीप पटेल, पीयूष बरोत, अर्पित सिंह जाला, बीरेन पटेल, जयेश पटेल और सैम पाजी शामिल हैं।

मानव तस्करी और सबूतों को नष्ट करने का आरोप

इन एजेंटों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 370 के तहत मानव तस्करी, सबूत नष्ट करने के लिए धारा 201 और आपराधिक साजिश के लिए धारा 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। सीआईडी (अपराध एवं रेलवे) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एसपी राजकुमार ने बताया कि जांच में खुलासा हुआ कि इन एजेंटों ने गुजरात के यात्रियों को निकारागुआ पहुंचने के बाद अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कराने में मदद करने का वादा किया था। निकारागुआ लैटिन अमेरिकी देश है। उन्होंने कहा, जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इन एजेंटों ने दिसंबर में तीन अलग-अलग यात्राओं में कई लोगो को निकारागुआ भेजा था। ये एजेंट अमेरिका, मैक्सिको, निकारागुआ, दुबई और दिल्ली में रहने वाले मुख्य एजेंटों के साथ मिलकर काम करते थे। उन्होंने कहा, हमने गुजरात के यात्रियों के बयानों के आधार पर मानव तस्करी के लिए 14 एजेंटों की पहचान की और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस अधिकारी ने कहा, एजेंटों ने यात्रियों को मोबाइल फोन से ऑडियो फाइल और यात्रा से जुड़ी अन्य सामग्री को हटाने के लिए मजबूर किया था। इसलिए, हमने प्राथमिकी में इनके खिलाफ धारा 201 को भी जोड़ा है। प्रत्येक यात्री अमेरिका पहुंचने के बाद इन एजेंटों को साठ से अस्सी लाख रुपये देने पर सहमत हुआ था।