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ग्लोबल साउथ सम्मेलन में 123 देश हुए शामिल, चीन-पाकिस्तान से फिर किनारा, नहीं दिया गया न्योता

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भारत की ओर से शनिवार को डिजिटल रूप से आयोजित तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन में दुनियाभर के 123 देश शामिल हुए। हालांकि, चीन और पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शिखर सम्मेलन के समापन के बाद मीडिया को बताया कि शिखर सम्मेलन का फोकस ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने पर था।

गाजा और यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा उठाया
एस जयशंकर ने बताया कि दिनभर चली शिखर वार्ता के दौरान कई देशों ने गाजा और यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गाजा संघर्ष का मुद्दा उठाने वाले देशों ने नागरिकों के हताहत होने पर चिंता व्यक्त की और संघर्ष विराम लागू करने तथा वार्ता फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान, जयशंकर ने सवालों के जवाब में कहा कि भारत की मेजबानी में आयोजित सम्मेलन के तीसरे संस्करण में चीन और पाकिस्तान दोनों को आमंत्रित नहीं किया गया। चीन के मामले में अगर पूछेंगे क्या बीजिंग को आमंत्रित किया गया था तो जवाब नहीं होगा। चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध वर्तमान में सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों देश पिछले साल आयोजित दो पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का भी हिस्सा नहीं थे। विदेश मंत्री के अनुसार, सम्मेलन में दुनियाभर के 123 देश शामिल हुए। राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के स्तर पर 21 देशों का प्रतिनिधित्व था, जबकि 34 विदेश मंत्री इसमें शामिल हुए। इसके अलावा, 118 मंत्रियों ने भी शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसमें 10 मंत्रिस्तरीय सत्र शामिल थे।  बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने हसीना सरकार के पतन के मद्देनजर अपने देश की स्थिति और भू-राजनीति, कोविड-19 के प्रभाव और जलवायु परिवर्तन सहित दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रियों की वार्ता के दौरान आतंकवाद और चरमपंथ को ग्लोबल साउथ के लिए चुनौती के रूप में संदर्भित किया गया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कर्ज बोझ, नकदी की कमी और व्यापार पर इसके प्रभाव तथा विकासशील देशों की कर्ज देने के लिए और अधिक पहुंच बनाने की जरूरत पर भी चर्चा हुई।