#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

चर्चा: महाराष्ट्र राजभवन में हुई शाहरुख, दीपिका की फिल्मों की तारीफ, शेखर कपूर बोले, महाभारत पर बन सकती हैं सौ फिल्में

191

फिल्म नगरी में फिल्मों की ताकत को आंकने और इनके असर को पैना करने पर देश दुनिया के सिने बुद्धिजीवी यहां राजभवन में जुटे। सिनेमा की ताकत कैसे समाज की सोच बदल देती है, इसका उदाहरण देने के लिए शाहरुख खान की फिल्म ‘चकदे इंडिया’ और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ के उदाहरण भी दिए गए। इस मौके पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हिंदी सिनेमा की इस बात के लिए खूब बड़ाई की कि इसने हिंदी को दुनिया भर में प्रचारित और प्रसारित करने का भगीरथ प्रयास किया है।

राजवन में आयोजित ‘इंडियन सिनेमा एंड सॉफ्ट पावर’ नामक कार्यक्रम में इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशन्स के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि हमारा देश शुरू से ही सॉफ्ट पावर रहा है लेकिन पिछले तीन दशकों से इसकी ज्यादा चर्चा हो रही है। फिल्म जगत के कारण हमारी पहचान विश्व स्तर पर हुई है। उन्होंने कहा कि 1976 में बनी फिल्म ‘मंथन’ ने भारत में सहकारिता का अच्छा प्रयोग दिखाया। घर की चारदीवारी के अंदर परस्पर संबंधों का निर्माण फिल्म ‘अर्थ’  में दिखा। इसी तरह ‘इंग्लिश विंग्लिश’, ‘चक दे इंडिया’, और ‘छपाक’ जैसी फिल्मों में महिला सशक्तिकरण देखने को मिला। ‘न्यूटन’ जैसी फिल्म ने भारत की चुनाव प्रणाली को दिखाया। इन सारी फिल्मों से समाज में कहीं न कहीं एक अच्छा संदेश गया ही है।

निर्माता निर्देशक शेखर कपूर ने इस मौके पर कहा कि हमारे देश में सिर्फ 11 हजार सिनेमा हॉल हैं,जबकि चीन में ये तादाद 85 हजार तक पहुंच चुकी है। वहां की सरकार फिल्म बनाने के लिए ताकत देती है जिससे वहां के लोग अच्छा सिनेमा बना रहे है और सिनेमा का बिजनेस अच्छा हो रहा है। अगर हम सिनेमा में कंटेंट की बात करें तो हमारे पास कंटेंट की कमी नहीं है। अकेले महाभारत पर सौ फिल्में बन सकती है क्योंकि महाभारत को समझने का हर किसी का अपना अलग नजरिया है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी शेखर कपूर की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जिसको गीता समझ में आ गई, वह  कुछ और नहीं पढ़ता। सिनेमा क्रिएटिव आर्ट है। सिनेमा में मारधाड़ भी होता है लेकिन उसमें भी  क्रिएटिव काम होता है। उन्होंने कहा, ‘मैंने ज्यादा फिल्में नहीं देखी हैं। सिर्फ ‘मुगल ए आजम’ दो बार देखी है लेकिन मैं सिनेमा के बारे में इतना तो समझ गया हूं कि आज हमारा सिनेमा हॉलीवुड के मुकाबले पर आ गया है। भारतीय सिनेमा ने हिंदी भाषा को विस्तार दिया है। हिंदी सिनेमा की वजह से ही हिंदी भाषा का प्रसार कई देशों में हुआ है। मैंने जब भी अमेरिका, मॉरिशस और कई देशों में हिंदी बोलते लोगों को देखा और पूछा कि हिंदी कैसे बोल लेते हैं? उनका जवाब होता था हिंदी फिल्में देखकर। ये है भारतीय सिनेमा का प्रभाव।’’

राज्यपाल ने कहा कि जितना लोगों ने रामायण और महाभारत सीरियल को देखा है,उतना किसी और सीरियल को नही। गुरु गोविंद सिंह के जीवन पर भी फिल्में और सीरियल बनने चाहिए ताकि आज के लोग उनके त्याग और बलिदान को समझ सकें। हमारा देश ऐसा है कि जहां पत्थर मारो वहां एक कहानी निकल आएगी। हम अपने अंदर की छुपी हुई प्रतिभा को कैसे बाहर लाए, इस पर काम करना होगा।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *