नई दिल्ली, लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प को एक साल पूरा हो गया है। इस झड़प में भारत के कई जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनातनी बढ़ गई थी। जनाक्रोश के बीच भारत सरकार ने टिकटॉक समेत चीन के कई लोकप्रिय ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी। साथ ही देश में चीन में बने सामान के बहिष्कार की मांग ने भी जोर पकड़ा।
गलवान घाटी के इस संघर्ष के बाद क्या आम भारतीय का मूड भी चीनी उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर बदला, इस पर जब लोकल सर्कल्स ने सर्वे किया तो 43 फीसदी ने कहा कि उन्होंने बीते एक साल में चीन में बना कोई सामान नहीं खरीदा। वहीं जिन लोगों ने सामान खरीदा भी, उनमें 70 फीसदी का कहना था कि उन्होंने प्रॉडक्ट के मुकाबले उसकी कीमत को देखते हुए यानी किफायत की वजह से सामान खरीदा।
क्यों खरीदा चाइनीज सामान
वहीं 40 फीसदी लोगों ने खासियत की वजह से और 38 फीसदी ने बेहतर क्लाविटी की वजह से सामान खरीदा। जिन लोगों ने चीन के सामान खरीदे उनमें 60 फीसदी ने सिर्फ 1-2 आइटम ही खरीदे। इनमें ऐसे लोगों की संख्या 1 फीसदी थी जिन्होंने पिछले एक साल में 20 से ज्यादा चाइनीज आइटम खरीदे। इसी तरह 15 से 20 चाइनीज आइटम खरीदने वालों की संख्या भी इतनी ही थी।
चीन को झटका, 43 फीसदी लोगों ने नहीं खरीदा चाइनीज सामान
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