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छोटे व्यापारी-ग्राहकों पर असर नहीं, बैंकों ने बनाए अलग काउंटर, दुकानदारों को लेने में हिचक

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मंगलवार को दो हजार रुपये के नोट बैंक से बदलने का पहला दिन था। पहले दिन लोग बैंकों में अपना नोट जमाकर पांच सौ और सौ रुपये के नोट में बदलते दिखाई पड़े। ज्यादातर बैंकों ने नोट बदलने के लिए अलग से दो-तीन काउंटर बना रखे हैं। बैंक टोकन बांटकर लोगों की भीड़ संभालते दिखाई पड़े। नोट बदलने में लोगों को कोई परेशानी नहीं दिखाई पड़ी। अपने खाते में पैसा जमा करने पर कोई परेशानी नहीं हुई, जबकि बिना खाते के नोट बदलने वालों को फॉर्म भरना पड़ा और आधार कार्ड की ऑरिजिनल कॉपी दिखानी पड़ी। लेकिन इस निर्णय का छोटे व्यापारियों और ग्राहकों पर कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। बड़े व्यापारिक संस्थाओं की लेनदेन बैंकिंग के माध्यम से होने के कारण उन्हें भी कोई नुकसान होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है। डिजिटल लेनदेन के बहुत ज्यादा चलन ने भी लोगों को नोटबंदी की मार से बचाया है। हालांकि, जिन सेक्टर में नकदी से लेनदेन किया जाता है, वहां इसका आंशिक असर दिखाई पड़ रहा है। दिल्ली व्यापार संघ के अध्यक्ष देवराज बावेजा ने अमर उजाला से कहा कि दो हजार रुपये का लेनदेन पहले से ही बहुत ज्यादा चलन में नहीं था। यही कारण है कि इसके बंद होने से भी बाजार में कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। छोटे दुकानदार और सामान्य ग्राहकों की लेनदेन इससे भी कम मूल्य की होती है और उनका व्यापारिक लेन देन भी दो हजार रूपये की ‘नोटबंदी’ से प्रभावित नहीं है। चांदनी चौक दिल्ली के व्यापारियों के गढ़ के रूप में देखा जाता है। यहां छोटे दुकानदारों के साथ-साथ थोक के कारोबार होते हैं। लेकिन यहां भी नोटबंदी को लेकर कोई परेशानी नहीं है। चांदनी चौक ट्रेडर्स परिषद के कोषाध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने अमर उजाला को बताया कि उनके बाजार में दो हजार रुपये की ‘नोटबंदी’ का कोई असर नहीं है। व्यापारियों को पैसा बदलने से किसी बैंक ने इनकार नहीं किया। बाहरी लोगों के नोट भी बदले जा रहे हैं। राजधानी के बड़े व्यापारियों और कंपनियों के लेनदेन बैंकिंग व्यवस्था से सीधे जुड़े होते हैं, अनेक लोग इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन कर रहे हैं, इस कारण भी ‘नोटबंदी’ पार्ट 2.0 से कोई परेशानी नहीं हो रही है। सब्जी विक्रेता से लेकर रेहड़ी-पटरी कारोबार करने वाले सबसे छोटे तबके के व्यापारी और ग्राहक सबसे ज्यादा होते है। नोटबंदी पार्ट 1.0 में इसी वर्ग पर सबसे ज्यादा मार पड़ी थी, लेकिन इस बार की नोटबंदी में इस वर्ग पर कोई असर नहीं देखा जा रहा है।

कैश लेनदेन वाले सेक्टर प्रभावित

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने बताया कि संस्थागत औद्योगिक सेक्टर में इस नोटबंदी का कोई प्रभाव नहीं है क्योकि इनका ज्यादातर लेनदेन बैंकों के जरिए होता है। छोटे व्यापारी भी इससे प्रभावित नहीं हैं। लेकिन प्रॉपर्टी और कृषि जैसे सेक्टर जहां बड़ा लेनदेन कैश के जरिए होता है, वहां लोगों को कुछ परेशानी हो रही है।

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