#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

जिन्ना का जिन्न क्यों जगा रहे अखिलेश और उनके साथी, रणनीति या फंस रहे भाजपा के जाल में

669

उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के नाम का जिन्न एक बार फिर निकल आया है। पिछले दिनों सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने मोहम्मद अली जिन्ना का नाम पटेल, नेहरू और गांधी के साथ लिया था। उन्होंने कहा था कि इन सभी ने एक ही कॉलेज से बैरिस्टरी की और देश को आजाद कराने में योगदान दिया था। उनके इस बयान के बाद से विवाद छिड़ गया था और जिन्ना का नाम लिए जाने पर भड़की भाजपा ने उनकी मानसिकता को तालिबानी बता दिया था। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस पर हमला बोलते हुए कहा था कि भारत में जिन्ना वाली सोच नहीं चलेगी।

काउंटर पोलराइजेशन से सपा को है फायदे की उम्मीद?

दरअसल जिन्ना का नाम लेने से भाजपा को लाभ मिलने की बात की जा रही है, लेकिन ध्रुवीकरण की स्थिति में सपा भी शायद पीछे न रहे। इसकी वजह यह है कि भले ही जिन्ना के नाम से भारतीय मुस्लिमों को कोई मतलब न हो, लेकिन उनके नाम पर यदि ध्रुवीकरण होता दिखता है तो उसका असर काउंटर पोलराइजेशन के तौर पर जरूर दिख सकता है। ऐसे में कहा यह भी जा रहा है कि शायद मुस्लिमों का ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने यह रणनीति बनाई है। दरअसल प्रदेश की करीब 100 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिमों मतों का हेरफेर पूरी चुनावी सियासत की दिशा तय कर सकता है। यही वजह है कि जिन्ना पर अखिलेश यादव के बयान को भाजपा के ट्रैप में फंसने की बजाय रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

बयान पर सफाई देने से इनकार ने और बढ़ाए कयास

अखिलेश यादव से बीते सप्ताह जब यह पूछा गया कि क्या वह जिन्ना वाले बयान पर सफाई देंगे तो उन्होंने कहा कि मैं ऐसा क्यों करूं। अखिलेश यादव ने कहा था, मुझे संदर्भ क्यों साफ करना चाहिए? मैं चाहता हूं कि लोग फिर से किताबें पढ़ें। अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव को जिक्र करते हुए कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ को 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए क्योंकि वह इस बार हारने वाले हैं। उनके इस बयान से साफ था कि जिन्ना वाले अपने बयान को वह दूर तलक जाने देना चाहते हैं ताकि ध्रुवीकरण की स्थिति बने तो वह एकमुश्त मुस्लिम वोट हासिल कर सकें। बसपा और कांग्रेस भी इस वोट बैंक के दावेदार रहे हैं। ऐसे में यदि मुस्लिमों वोटों का बड़ा हिस्सा सपा की ओर जाता है तो वह निश्चित ही भाजपा को टक्कर देने की स्थिति में सबसे आगे होगी।

12 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *