पश्चिम बंगाल में भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय को जूनियर डॉटर्स के विरोध का सामना करना पड़ा। दरअसल, वे कल रात कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल दुष्कर्म-हत्या मामले को लेकर जूनियर डॉक्टर्स के विरोध प्रदर्शन में पहुचे थे। यहां उन्हें देखकर प्रदर्शनकारी भड़क गए। इस दौरान ‘अभिजीत गांगुली वापस जाओ’ के नारे लगाए गए। इस पर उन्होंने कहा कि मैं इस शहर के निवासी के रूप में यहां आया हूं। मैं प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं हूं, मैं उनके साथ हूं। पुलिस आयुक्त को डॉक्टरों से मिलने आना चाहिए, वे गुंडे नहीं हैं, वे जूनियर डॉक्टर हैं।
पुलिस आयुक्त के इस्तीफे की मांग
इस बीच पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के इस्तीफे की मांग को लेकर कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार तक रैली निकालने वाले विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर मंगलवार सुबह भी बीबी गांगुली स्ट्रीट पर डटे रहे। उन्हें आगे बढ़ने से 12 घंटे से अधिक समय तक रोका गया। डॉक्टरों के साथ कई आम लोग और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी प्रदर्शन में शामिल हुए। सभी ने आगे बढ़ने से रोके जाने पर लिए सोमवार की पूरी रात बीबी गांगुली स्ट्रीट पर बिताई, जो लालबाजार से करीब आधा किलोमीटर दूर है। इस बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार विधानसभा में दुष्कर्म रोधी विधेयक पेश करेगी। विधेयक के मसौदे में पीड़िता की मौत होने या उसके अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य दुष्कर्म और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों को शामिल करके महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।
विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद सोमवार को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। राज्य के कानून मंत्री मलय घटक सदन में इस विधेयक को पेश करेंगे। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि उनसे विचार-विमर्श किए बिना ही विशेष सत्र बुलाया गया है और यह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एकतरफा फैसला है।