भारत की स्टार महिला वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में देश को पहला मेडल दिला दिया है। चानू ने टोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में पदक का भारत का 21 साल का इंतजार खत्म किया और रजत पदक जीतकर देश का खाता भी खोला। उन्होंने महिलाओं की 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एंड जर्क में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। चीन की हाऊ झिहू ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने फाइनल प्रयास में 117 किलो का वजन उठाया और उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा। उन्होंने दूसरे प्रयास में 115 किलो का वजन उठाया। हालांकि पहले प्रयास में वह केवल 110 किलो भार ही उठा पाई थी। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में देश को वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक दिलाया था। वहीं गोल्ड जीतने वाली चीन की होऊ झीहुई ने कुल 210 किग्रा (94 किग्रा + 116 किग्रा) का भार उठाया। इंडोनेशिया की आइशा विंडी केंटिका ने कुल 194 किग्रा (84 किग्रा + 110 किग्रा) उठाकर कांस्य पदक जीता। मीराबाई 2017 में वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप (48 किलो) की चैंपियन बनी थीं। उन्होंने इस साल अप्रैल में में 86 किलो स्नैच और वर्ल्ड रेकॉर्ड 119 किलो वजन उठाकर खिताब जीता था। उन्होंने कुल 205 किलो वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
यह पदक मीराबाई के लिए इसलिए मायने रखता है क्योंकि 2016 में हुए रियो ओलंपिक के उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। टोक्यो के लिए क्वालीफाई करने वाली इकलौती वेटलिफ्टर मीराबाई का रियो ओलंपिक में क्लीन एंड जर्क में तीन में से एक भी प्रयास वैलिड नहीं हो पाया था, जिससे 48 किग्रा में उनका कुल वजन दर्ज नहीं हो सका था। पांच साल पहले के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने वापसी की और 2017 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में और फिर एक साल बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर अपने आलोचकों को चुप कर दिया।