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तो इस शख्स के साथ शबाना की मां करा देतीं उनकी शादी, लेकिन फिल्म लाइन में नहीं भेजती

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अभिनत्री शबाना आजमी ने अपने करियर की शुरुआत 1974 में श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ से की। इस फिल्म के रिलीज के बाद जब शबाना आजमी की मां शौकत आजमी फिल्म को देखने आई तो शबाना आजमी के काम को देखकर खूब खुश हुई। लेकिन इस फिल्म के दो महीने बाद ही जब उन्होंने शबाना आजमी की दूसरी फिल्म ‘फासला ‘देखी तो शबाना आजमी से बहुत नाराज हुईं और कहने लगीं कि अगर मुझे पता होता कि तुम ऐसी फिल्म करोगी तो फिल्म लाइन में कभी आने नही देती और तुम्हारा विवाह किसी लूले लंगड़े से करा देती। आखिर क्या थी इसके पीछे की वजह इसका खुलासा खुद शबाना आजमी ने  यहां मुंबई में एक किताब ‘द ओल्डेस्ट लव स्टोरी’ के विमोचन के अवसर पर किया।
बड़ी सख्त थीं शबाना की मां
शबाना आजमी अपनी मां शौकत आज़मी के बारे में कहती हैं, “मेरी मां एक बहुत अच्छी महिला, मां और बीवी थीं। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ साथ अपनी पर्सनल लाइफ में बराबर तालमेल रखती थीं। और, ये मैं हमेशा उनसे सीखती हूं। पर वह बॉलीवुड की निरूपा रॉय टाइप की मां नही थीं। वह बहुत ही कठोर और बेबाक तरीके से अपनी बात को रखती थी। वह कब आपको जमीन पर उतर देंगी पता भी नही चलेगा।”
फिल्म देखकर मां ने की तारीफ
शबाना आजमी कहती हैं, ”मेरी पहली फिल्म ‘अंकुर’ को श्याम बेनेगल ने निर्देशित किया था। इस फिल्म को मेरी मां मुझसे आगे वाली कतार में बैठ कर देख रही थी। फिल्म देखते हुए उन्होंने मुझे कहा, “तुम एक बहुत अच्छी एक्ट्रेस हो, मुझे गर्व हैं तुम पर। ये फिल्म बहुत अच्छी हैं। मेरे अगल बगल के लोग देखकर सोचने लगे होंगे कि ये सब क्या चल रहा हैं। मां की बात सुन कर मैं बहुत कॉन्फिडेंट हो गई।”
दूसरी फिल्म देखने के बाद बदल गया बर्ताव
शबाना आजमी कहती हैं, ”ठीक दो महीने बाद मेरी दूसरी फिल्म ‘फासला’ आई जिसे ख्वाजा अहमद अब्बास ने निर्देशित किया था। इस फिल्म को देखकर मेरी मां बोली कि शबाना ये इतनी बेहूदी फिल्म हैं और तुमने इतना बेहूदा काम किया है कि अगर ये फिल्म तुमने मुझे पहले दिखा दी होती तो मैं तुम्हारी शादी किसी लंगड़े लूले से करा देती लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में नहीं भेजती।”
मां के साथ बेरुखी से पेश आती थीं शबाना
शबाना आजमी ने बताया, ”मैं 9 साल की उम्र में अपनी मां से बहुत बेरुखा बर्ताव करती थी। तब एक बार मेरी मां ने मुझे फोन किया और कहा कि तुम ऐसा व्यवहार क्यों कर रही हो? मैंने उन्हें कहा कि मुझे लगता हैं कि आप मुझसे ज्यादा मेरे भाई से प्यार करती हो। तब वह मुझे बोली कि देखो मैं तुम्हारी मां होने के साथ साथ एक इंसान भी हूं। तुम्हारा स्वभाव बहुत ही बेरुखा और अप्रिय हैं और ये सब मुझे पसंद नही हैं। तुम्हारा भाई बहुत ही प्यारा, अच्छे स्वभाव का हैं। इसीलिए मैं उससे अच्छा बर्ताव करती हूं।”
मां की बात सुनकर छोड़ दिया बुरा बर्ताव
शबाना आजमी कहती है, ”ये सब सुनकर मैंने अपने बुरे बर्ताव को छोड़ दिया लेकिन अपनी मां से कहा कि तुम नौ साल की छोटी बच्ची के साथ ऐसे कैसे बात कर सकती हो। तब वह बोली कि मै ये सब न देखती हूं और न ही सोचती हूं।”

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