दिव्यांगता मामलों के विभाग ने अधिकारियों को एक अनूठी सजा दी है, जिसके तहत अधिकारियों को पांच दिन तक दिव्यांग छात्रों को सेवा प्रदान करनी होगी। दरअसल सेवा पुस्तिका में एक कर्मचारी की श्रेणी को पीडब्ल्यूडी में अपडेट करने में चार साल की देरी के लिए जिम्मेदार पाया गया। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त राजेश अग्रवाल ने शिकायतकर्ता कर्मचारी की श्रेणी को सामान्य से दिव्यांग में बदलने में राज्य के स्वामित्व वाली एमटीएनएल की विफलता पर कड़ी अस्वीकृति व्यक्त की। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्य आयुक्त ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) को लंबी देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने और अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट को भेजने का निर्देश दिया है। अधिकारियों को 31 दिसंबर से पहले विकलांग छात्रों को पांच दिनों की सेवा देने का आदेश दिया गया है, ताकि दिव्यांगता से संबंधित मुद्दों के प्रति उनकी उचित संवेदनशीलता सुनिश्चित की जा सके। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त का कार्यालय दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए स्थापित किया गया था। दिव्यांग लोगों के सामने आने वाले मुद्दों पर विचार करने के लिए इसकी सुनवाई नियमित रूप से आयोजित की जाती है।
दिव्यांग कर्मचारी की श्रेणी बदलने में हुई लापरवाही के बाद विभाग ने अधिकारियों पर की कार्रवाई, दी अनूठी सजा
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