पुराने संसद भवन का निर्माण भी मध्य प्रदेश के मुरैना चौंसठ योगिनी मंदिर के डिजाइन के तर्ज पर हुआ है। जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनाया था। अब नए संसद भवन का निर्माण भी मध्यप्रदेश के ही एक मंदिर की तर्ज पर होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि इसके बारे में सरकार की ओर पुष्टि नहीं की गई है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि जिस मंदिर की तर्ज पर नई संसद बन रही है। वो मंदिर मध्यप्रदेश के विदिशा में स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, विजय मंदिर देश के विशालतम मंदिरों में गिना जाता है। ये कई बार आक्रांताओं द्वारा लूटा गया है। विजय मंदिर के ऊंचे बेस को देखकर इसका आकार और संसद की आकृति एक जैसी ही दिखाई देती है। यहां नई संसद भवन के प्रोजेक्ट और मंदिर की तस्वीर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं। मध्यप्रदेश के इतिहासकारों का कहना है कि विजय मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया है। मोहम्मद गोरी के गुलाम अलतमश से लेकर औरंगजेब जैसे क्रूर शासकों का यह मंदिर शिकार हुआ है, लेकिन बार-बार इसका निर्माण भी करवाया गया। विजय मंदिर के पीछे चार मीनारें दिखाई देती हैं। विजय मंदिर मंदिर का निर्माण चालुक्यवंशी राजा ने विदिशा विजय को चिरस्थाई बनाने के लिए यहां पर भेल्लिस्वामिन (सूर्य) का मंदिर बनवाया था। 10वीं व 11वीं शताब्दी में परमार काल में परमार राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने इसका निर्माण कराया था। देश की वर्तमान संसद भवन का डिजाइन भी मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर जैसा है, जिसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने बनाया था। अब नए संसद भवन का निर्माण भी मध्यप्रदेश के ही विजय मंदिर से मिलता-जुलता है. यानी भारत की सबसे शक्तिशाली इमारत का इतिहास आजादी के पहले से मध्य प्रदेश से जुड़ा है और आगे भी जुड़ा रहेगा।
नई संसद के डिजाइन का एमपी के इस मंदिर से है कनेक्शन! पुराने भवन का भी है जुड़ाव
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