इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के गिरफ्तारी वारंट ने यूरोपीयन देशों को दुविधा में डाल दिया। इटली ने कहा कि वह आईसीसी के फैसले का पालन करने और नेतन्याहू को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य है। वहीं, कई अन्य देशों ने इसे लेकर सतर्क रुख अपनाया। आईसीसी के सदस्य देशों में शामिल इटली ने गिरफ्तारी वारंट के फैसले का पालन करते हुए इसे अपना दायित्व बताया। विदेश मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने बताया कि अगर नेतन्याहू इटली में आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। वहीं जर्मनी, हंगरी समेत कई यीरोपीय देशों ने आईसीसी के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया।
इटली के विदेश मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने कहा, “नेतन्याहू और इस्राइल के पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट को हमास के समान स्तर पर रखना आईसीसी का गलत फैसला था। इस मामले में इटली ने सतर्क रुख अपनाया और आईसीसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्टोफ लेमोइन ने आईसीसी के फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “फ्रांस इस फैसले पर गौर करता है। अंतरराष्ट्रीय न्याय का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप यह न्यायालय के स्वतंत्र कार्य के प्रति अपने लगाव को दोहराता है।” उन्होंने आईसीसी के फैसले को प्रतिक्रियात्मक औपचारिकता बताया।
जर्मनी समेत कई देशों ने किया आईसीसी के फैसले को मानने से इनकार
इस्राइल के मजबूत सहयोगियों में से एक जर्मनी आईसीसी के फैसले के इतर हथियारों की डिलीवरी समेत अपनी मौजूदा नीतियों को बनाए रखा है। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन ने आईसीसी के फैसले खारिज कर दिया। उन्होंने इस फैसले को गलत बताया और इस्राइली प्रदानमंत्री को आश्वासन दिया कि हंगरी का दौरा करने के दौरान उन्हें हर संभव सुरक्षा प्रदान किया जाएगा। इसके विपरीत स्लोवेनिया ने आईसीसी के फैसले का पालन करने का वादा किया। गैर ईयू देशों ने आईसीसी के इस फैसले की आलोचना की। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे अपमानजनक बताते हुए इसकी निंदा की और इस्राइल के लिए अटूट समर्थन पर जोर दिया। बता दें कि आईसीसी का गिरफ्तारी वारंट नेतन्याहू की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को बाधित कर सकता है। हालांकि, सभी देश इस वॉरंट पर कार्रवाई नहीं करेंगे। पिछले साल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस स्थिति का सामना करना पड़ा था। आईसीसी ने उनके खिलाफ भी गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया था। इसके बाद पुलिस ने ब्रिक्स सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने से परहेज किया था।