#BREAKING LIVE :
मुंबई हिट-एंड-रन का आरोपी दोस्त के मोबाइल लोकेशन से पकड़ाया:एक्सीडेंट के बाद गर्लफ्रेंड के घर गया था; वहां से मां-बहनों ने रिजॉर्ट में छिपाया | गोवा के मनोहर पर्रिकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरी पहली फ्लाइट, परंपरागत रूप से हुआ स्वागत | ‘भेड़िया’ फिल्म एक हॉरर कॉमेडी फिल्म | शरद पवार ने महाराष्ट्र के गवर्नर पर साधा निशाना, कहा- उन्होंने पार कर दी हर हद | जन आरोग्यम फाऊंडेशन द्वारा पत्रकारो के सम्मान का कार्यक्रम प्रशंसनीय : रामदास आठवले | अनुराधा और जुबेर अंजलि अरोड़ा के समन्वय के तहत जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शन करते हैं | सतयुगी संस्कार अपनाने से बनेगा स्वर्णिम संसार : बीके शिवानी दीदी | ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आरती त्रिपाठी हुईं सम्मानित | पत्रकार को सम्मानित करने वाला गुजरात गौरव पुरस्कार दिनेश हॉल में आयोजित किया गया | *रजोरा एंटरटेनमेंट के साथ ईद मनाएं क्योंकि वे अजमेर की गली गाने के साथ मनोरंजन में अपनी शुरुआत करते हैं, जिसमें सारा खान और मृणाल जैन हैं |

पहली भारतीय अंतरिक्ष उड़ान की 40वीं वर्षगांठ पर रूस की बधाई, 1984 में स्पेस में गए थे राकेश शर्मा

36

आज से 40 साल पहले भारत ने आंतरिक्ष में प्रवेश किया था, जिसमें रूस ने भारत की मदद की थी। भारतीय वायुसेना के तत्कालीन विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने थे। इस मौके पर रूस ने भारत को बधाई दी है। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने सोवियत सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर पहली भारतीय अंतरिक्ष उड़ान की 40वीं वर्षगांठ पर सभी भारतीयों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि 3 अप्रैल 1984 को विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ पहली भारतीय अंतरिक्ष उड़ान भरी गई थी, जिसमें दो रूसी यात्री भी सवार थे। सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 पर सवार होकर बाहरी अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने की 40वीं वर्षगांठ पर, भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने कहा, उस समय वे सिर्फ 35 साल के थे जब स्टार सिटी में प्रशिक्षण लेने के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने का मौका मिला। उन्होंने कहा, उस ऐतिहासिक लम्हे के 40 साल बीत चुके हैं। बीते चार दशक भारत और रूस के संबंधों के लिहाज से बेहद उपयोगी रहे हैं।  राकेश शर्मा ने मिशन गगनयान का जिक्र करते हुए कहा, हमारे चार नामित अंतरिक्ष यात्री जो जल्द ही अंतरिक्ष में जाने के लिए तैयार हो रहे हैं, उन्हें उसी जगह प्रशिक्षित किया गया है जहां 40 साल पहले उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी।  बकौल राकेश शर्मा, ‘चार लोगों की मौजूदा पीढ़ी को उसी तरह का प्रशिक्षण मिला है जैसा मुझे मिला था। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि प्रौद्योगिकी के अलावा, जिस तरह से मानव शरीर को अंतरिक्ष यात्रा की तीव्रता का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है, उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।’