
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गूगल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई ने पेरिस में एआई एक्शन समिट के दौरान मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने कृत्रिम मेधा (एआई) से भारत में उत्पन्न अविश्वसनीय अवसरों पर चर्चा की। भारतीय मूल के अल्फाबेट इंक के सीईओ ने इस बात पर भी चर्चा की कि किस प्रकार गूगल और भारत देश में डिजिटल बदलाव पर मिलकर काम कर सकते हैं। पिचाई ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘आज पेरिस में एआई एक्शन समिट के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। हमने एआई द्वारा भारत में लाए जाने वाले अविश्वसनीय अवसरों और भारत के डिजिटल बदलाव पर हम किस तरह मिलकर काम कर सकते हैं, इस पर चर्चा की।’ दोनों के बीच आखिरी मुलाकात सितंबर 2024 में न्यूयॉर्क में हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट’ की मंगलवार को सह-अध्यक्षता की थी। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी दक्षिणी फ्रांस के मार्सिले पहुंचे। यहां उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इसी बंदरगाह शहर से भाग निकलने का साहसिक प्रयास किया था। पीएम मोदी ने मंगलवार रात (स्थानीय समयानुसार) वहां पहुंचने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मार्सिले पहुंचा हूं। भारत के स्वतंत्रता के संघर्ष में यह शहर विशेष महत्व रखता है। यहीं पर महान वीर सावरकर ने भाग निकलने का साहसिक प्रयास किया था।’ उन्होंने कहा, ‘मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में नहीं सौंपा जाए। वीर सावरकर की बहादुरी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।’ मार्सिले पहुंचने पर प्रधानमंत्री का भारतीय प्रवासियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। देर रात (भारतीय समयानुसार सुबह चार बजकर 18 मिनट) ‘एक्स’ पर लिखे पोस्ट में मोदी ने कहा, ‘राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और मैं कुछ देर पहले मार्सिले पहुंचे हैं। इस यात्रा में भारत और फ्रांस को और करीब लाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण कार्यक्रम होंगे। जिस भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया जा रहा है, उससे लोगों के बीच आपसी संबंध और मजबूत होंगे। मैं प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित करूंगा।’

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर ने आठ जुलाई, 1910 को अग्रेजों की कैद से भागने का प्रयास किया था, जब उन्हें मुकदमे के लिए ब्रिटिश जहाज मोरिया से भारत लाया जा रहा था। ऐसा माना जाता है कि सावरकर ने जहाज के ‘पोर्टहोल’ से फिसलकर बाहर निकलने का प्रयास किया और तैर कर तट तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे, लेकिन फ्रांसीसी अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और फिर उन्हें ब्रिटिश जहाज अधिकारियों की हिरासत में वापस सौंप दिया। इससे एक बड़ा कूटनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। सावरकर को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की सेल्युलर जेल में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करने के लिए मार्सिले में हैं। दोनों नेताओं की बुधवार को कई कार्यक्रमों में शामिल होने की योजना है, जिसमें दोनों विश्व युद्ध के दौरान लड़ते हुए शहीद हुए भारतीय सैनिकों के बलिदान की याद में ‘माजरग्यूज वॉर सीमेट्री’ का दौरा भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु संलयन सहयोग, अंतरराष्ट्रीय ताप नाभिकीय प्रायोगिक रिएक्टर (आईटीईआर) परियोजना का दौरा भी उनके कार्यक्रम में शामिल है। इससे पहले मंगलवार को उन्होंने ‘एआई एक्शन समिट’ और 14वें भारत-फ्रांस सीईओ फोरम को संबोधित किया था।