गुजरात के मेहसाणा की एक अदालत ने गुरुवार को पूर्व मंत्री और दूध सागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष विपुल चौधरी को धोखाधड़ी के मामले में सात साल की सजा सुनाई है। आरोप था कि विपुल ने 2014 में उचित नियमों का पालन किए बिना महाराष्ट्र में पशु आहार की आपूर्ति करके डेयरी को 22.5 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। विपुल चौधरी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं। यह अमूल ब्रांड का मालिक है। मेहसाणा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड ‘दूध सागर’ डेयरी के नाम से लोकप्रिय है। मेहसाणा के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वाईआर अग्रवाल ने चौधरी और 14 अन्य को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का दोषी ठहराया और सात साल कैद की सजा सुनाई। गुजरात के सहकारी क्षेत्र का प्रमुख चेहरा रहे चौधरी 1996 में शंकरसिंह वाघेला सरकार में मंत्री थे। अदालत ने 15 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (विश्वासघात), 465 (जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) के तहत भी दोषी ठहराया और उन्हें एक से चार साल तक की जेल की सजा सुनाई। चौधरी और अन्य के खिलाफ मेहसाणा ‘बी’ डिवीजन पुलिस थाने में 2014 में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जब वह दूध सागर डेयरी के साथ-साथ जीसीएमएमएफ के अध्यक्ष थे। इसके बाद उन्हें मवेशियों के चारे की खरीद में कथित भ्रष्टाचार को लेकर जीसीएमएमएफ और दूधसागर डेयरी दोनों से बर्खास्त कर दिया गया था। प्राथमिकी के अनुसार, डेयरी अध्यक्ष के रूप में चौधरी ने 2014 में सूखा प्रभावित महाराष्ट्र में पशु चारा भेजने का निर्णय लिया था। हालांकि, राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि 22.5 करोड़ रुपये के पशु आहार को भेजने का निर्णय डेयरी की बोर्ड बैठक में कोई प्रस्ताव लाए बिना या कोई निविदा जारी किए बिना लिया गया था। जिन अन्य आरोपियों को सात साल कैद की सजा सुनाई गई है उनमें दूधसागर डेयरी के पूर्व बोर्ड सदस्य, इसकी पूर्व उपाध्यक्ष जलाबेन ठाकोर और पूर्व प्रबंध निदेशक निशीथ बक्शी भी शामिल हैं।
पूर्व मंत्री विपुल चौधरी को धोखाधड़ी के मामले में सात साल की सजा, डेयरी को लगाया 22 करोड़ का चूना
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