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पेगासस जासूसी विवाद: देश के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना को सैकड़ों लोगों और संगठनों ने लिखी चिट्ठी, तत्काल हस्तक्षेप की गुहार

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पेगासस जासूसी मामले को लेकर अभी विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है। अब 500 से ज्यादा लोगों और संगठनों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिख इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 500 से ज्यादा लोगों और ग्रुप ने सीजेआई एनवी रमन्ना से इजारयली फर्म एनएसओ से पेगास स्पाइवेयर की खरीदारी पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह भी किया है। सीजेआई को जो चिट्ठी लिखी गई है उसमें विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल को लेकर दिखाई जा रही खबरों को लेकर चिंता जाहिर की गई है। सीजेआई को खत लिखने वालों ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल छात्राओं, शिक्षा से जुड़े लोगों, पत्रकारों, मानवाधिकार के संरक्षण से जुड़े लोगों, वकील और यौन प्रताड़ना के शिकार पीड़िताओं की जासूसी के लिए किया जा रहा था। देश के शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश को खत लिखने वाले लोगों ने डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी पॉलिसी की तरफ भी सीजेआई का ध्यान खींचा है। उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों पर हैरानगी जताई है कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल छात्राओं, विद्वानों, पत्रकारों, मानवाधिकार के पैरोकारों, वकीलों और यौन हिंसा पीड़िताओं की निगरानी के लिए किया गया। इसके अलावा, पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने शीर्ष न्यायालय से यौन उत्पीड़न पर लैंगिक रूप से तटस्थ डेटा सुरक्षा और निजता नीति अपनाने का अनुरोध किया है। पत्र में शीर्ष न्यायालय की एक अधिकारी के कथित जासूसी मुद्दे का भी हवाला दिया गया है, जिन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया था।  पत्र में कहा गया है, ”महिलाओं के लिए, पेगासस कांड बहुत चिंतित करने वाला है, राज्य (सरकार) के खिलाफ या देश में ऊंचे पदों पर बैठे पुरूषों के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब है कि उनका जीवन (आवाज उठाने वाली का) इस तरह की निगरानी से स्थायी रूप से बर्बाद कर दिया जाएगा। इसमें कहा गया है, ”मानवाधिकार कार्यकर्तओं को जेल में डाल दिया गया है और यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को भी सरकार प्रायोजित इस तरह के साइबर-अपराध से बख्शा नहीं जा रहा है, जो शासन के आतंक का डिजिटल रूप है। पत्र पर अरूणा रॉय, अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर जैसे नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, वृंदा ग्रोवर, झूमा सेना जैसी प्रख्यात वकीलों ने हस्ताक्षर किये हैं। बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को पेगासस स्पाइवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया।

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