दुनिया के नंबर एक टेस्ट गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में खेलने का मौका नहीं मिला था। कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ ने उन्हें प्लेइंग-11 में शामिल नहीं किया था। टीम इंडिया मैच में चार तेज गेंदबाज और एक स्पिनर के साथ उतरी थी। फाइनल में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। मुकाबले के पांच दिन बाद अश्विन का दर्द छलका है। उन्होंने कहा कि अगर वह फाइनल में खेलते तो अच्छा होता। अश्विन ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह निश्चित रूप से फाइनल में खेलना चाहते थे क्योंकि उन्होंने टीम को उस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। दिग्गज स्पिनर ने कहा, ”इसका उत्तर देना एक कठिन प्रश्न है, ठीक है? क्योंकि हम डब्ल्यूटीसी फाइनल के ठीक बाद खड़े हैं। मुझे खेलना अच्छा लगता क्योंकि मैंने वहां तक पहुंचने में योगदान दिया था। यहां तक कि पिछली बार फाइनल में मैंने चार विकेट लिए थे और वास्तव में अच्छी गेंदबाजी की थी।” विदेशों में अपने प्रदर्शन से जुड़े सवाल पर अश्विन ने कहा कि 2018-19 सीजन से ही उनका देश के बाहर शानदार रिकॉर्ड रहा है। भारतीय गेंदबाज ने आगे कहा, ”2018-19 के बाद से विदेशों में मेरी गेंदबाजी शानदार रही है और मैं टीम के लिए मैच जीतने में कामयाब रहा हूं। मैं इस फैसले को एक कप्तान या कोच के नजरिए से देख रहा हूं और मैं सिर्फ उनके बचाव में बात कर रहा हूं।” अश्विन ने टीम के इस फैसले पर कहा, ” पिछली बार जब हम इंग्लैंड में थे तो सीरीज 2-2 की बराबरी पर रहा था। उन्हें लगा होगा कि इंग्लैंड में चार तेज गेंदबाज और एक स्पिनर का संयोजन सही होगा। फाइनल में जाने के लिए उन्होंने यही सोचा होगा।” अश्विन ने कहा कि वह इस बारे में ज्यादा नहीं सोचते कि दूसरे उनके बारे में क्या कह रहे हैं क्योंकि वह खुद के बड़े आलोचक हैं। ऑफ स्पिन ने कहा, ”खुद के बारे में यह कहना कि मुझे कोई जज कर रहा है तो यह एक मूर्खता है। मैं किसी चीज में अच्छा नहीं हूं तो मैं अपना पहला सबसे अच्छा आलोचक बनूंगा। मैं इस पर काम करूंगा।”
‘फाइनल खेलता तो अच्छा होता’, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बाहर रखे जाने पर छलका अश्विन का दर्द
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