भारत के साथ हवाई युद्ध को लेकर पाकिस्तान अपने जिस लड़ाकू विमान की तारीफों के पुल बांधते हुए नहीं थकता था, दरअसल वह वास्तविकता में फेल हो चुका है। पाकिस्तान के इन झूठे दावों की पोल इस बार ग्रीस की एक वेबसाइट पेन्टोपोस्टेग्मा ने खोली है। इस वेबसाइट ने एक-एक पॉइंट्स को लेकर पाकिस्तान और चीन के साझा सहयोग से बनाए गए जेएफ-17 लड़ाकू विमान की बखिया उधेड़ दी है। बता दें कि जेएफ-17 वही लड़ाकू विमान है जिसका ब्लॉक-3 वैरियंट को पाकिस्तान अब बनाने जा रहा है। जिसके बाद पाकिस्तान के न्यूज चैनल्स और वहां के डिफेंस एक्सपर्ट इसकी तुलना भारत के राफेल लड़ाकू विमान से करने लगे थे। ग्रीस की वेबसाइट ने बताया है कि जिन काबिलियतों को लेकर जेएफ-17 को बनाया गया था वह हकीकत में काफी दूर की कौड़ी है। यह एक लो कॉस्ट लड़ाकू विमान है जिसे चीन के घटिया एवियोनिक्स और वेपन्स के साथ विकसित किया गया है।
कैसे चीन और पाकिस्तान ने बनाया जेएफ-17 लड़ाकू विमान
दरअसल, साल 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की भारत के हाथों करारी हार हुई थी। तब के युद्ध में भारत के कई लड़ाकू विमानों ने कारगिल और द्रास की ऊंची-ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सेना के बंकरों पर अपना कहर बरपाया था। उस समय पाकिस्तान के पास एफ-16 लड़ाकू विमान थे, लेकिन अमेरिका ने इसे किसी भी तरह से भारत के खिलाफ इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी थी। जिसके बाद हार से बौखलाए पाकिस्तान ने साल 1999 में अपने सदाबहार दोस्त चीन के साथ मिलकर जेएफ-17 थंडर को विकसित करने का करार किया था। जिसके बाद दोनों देशों ने साथ मिलकर एक सस्ते, हल्के और हर मौसम में उड़ान भरने लायक मल्टीरोल लड़ाकू विमान को विकसित किया। जिसमें चाइनीज एयरफ्रेम के साथ पश्चिमी देशों की एवियोनिक्स और रूसी क्लिमोव आरडी 93 इंजन लगा हुआ था।
मेंटीनेंस और ऑपरेशनल कॉस्ट को लेकर परेशान है पाकिस्तान
चीन और पाकिस्तान के मुताबिक, इस लड़ाकू विमान को ऐसा बनाया गया था जो भारत के सुखोई एसयू-30एमकेआई और मिराज-2000 को टक्कर दे सकता था। चीन ने यहां तक कहा कि वह इस विमान की बेहतर क्षमताओं के कारण इसे अपनी एयरफोर्स (PLAAF) में भी शामिल करेगा। हालांकि, विमान अपनी कल्पना क्षमताओं से बहुत दूर है। क्योंकि, इस विमान को कम गुणवत्ता वाले चीनी एवियोनिक्स और हथियारों के साथ विकसित किया गया है। पाकिस्तान एयरफोर्स ने भी यह पाया है कि आधुनिक हथियार प्रणालियों की तुलना में जेएफ -17 विमानों का संचालन और रखरखाव लागत बहुत अधिक है। जिससे इस विमान को लंबे समय तक उड़ने योग्य बनाने के लिए इसके ऑपरेशनल कॉस्ट को कम करने की जरूरत है। चीन और पाकिस्तान ऑल वेदर फ्रेंड कहे जाते हैं इसलिए इन्होंने ठीकठाक पैसा इस विमान को विकसित करने पर खर्च किया हुआ है। पाकिस्तान शुरू में इस विमान के एवियोनिक्स को पश्चिमी देशों से खरीदना चाहता था, लेकिन चीन ने दबाव बनाते हुए न सिर्फ पाकिस्तान को ऐसा करने से मना कर दिया, बल्कि चीनी एवियोनिक्स के साथ बनाए विमान को लेने के लिए मजबूर किया।
फेल हो गया पाकिस्तान का JF-17 लड़ाकू विमान? चला था भारत के सुखोई और मिराज की बराबरी करने
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