देश के प्राचीन मंदिरों में से एक दक्षिण मुंबई के बाबुलनाथ शिव मंदिर के शिवलिंग में दरार आ गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे की प्रारंभिक अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, मिलावटी अबीर, गुलाल, भस्म, कुमकुम चंदन, दूध चढ़ावे के कारण शिवलिंग को क्षति पहुंची है। बाबुलनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग 12वीं सदी का बताया जाता है। यह मंदिर दक्षिण मुंबई के मालबार हिल की एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर सोलंकी राजवंश के समय का है। उन्होंने 13वीं शताब्दी तक पश्चिमी भारत पर शासन किया था। ऐसा पहली बार हुआ है, जब शिवलिंग को क्षति पहुंची है। इसका अध्ययन शुरू किया गया है, जिसकी रिपोर्ट एक महीने में आएगी। मंदिर के पुजारियों ने आठ से 10 महीने देखा कि शिवलिंग को क्षति पहुंच रही है और इसमें दरार पड़ रही है। मंदिर के ट्रस्टियों का दावा है कि शिवलिंग खंडित नहीं हुआ है।
बाजार में मिलने वाली वस्तुएं मिलावटी
मंदिरों में ‘अभिषेक’ में दूध का उपयोग किया जाता है। अभिषेक में दूध, जल, शहद, दही, अबीर, भस्म, गुलाल, चंदन, फूल, धतूरा, बेल पत्र और अन्य प्रसाद चढ़ाने की प्रथा है। बाजार में उपलब्ध चंदन, अबीर, गुलाल, भस्म में मिलावट और केमिकल मिला होता है। मिलावटी दूध भी समस्या है। इन केमिकल युक्त वस्तुओं से शिवलिंग को क्षति पहुंची है। शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला कुमकुम और भस्म भी रसायन है। हिंदू मान्यता के अनुसार टूटे या क्षतिग्रस्त शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है और आमतौर पर इसे विसर्जित कर दिया जाता है।
बाजार में मिलने वाली वस्तुएं मिलावटी
मंदिरों में ‘अभिषेक’ में दूध का उपयोग किया जाता है। अभिषेक में दूध, जल, शहद, दही, अबीर, भस्म, गुलाल, चंदन, फूल, धतूरा, बेल पत्र और अन्य प्रसाद चढ़ाने की प्रथा है। बाजार में उपलब्ध चंदन, अबीर, गुलाल, भस्म में मिलावट और केमिकल मिला होता है। मिलावटी दूध भी समस्या है। इन केमिकल युक्त वस्तुओं से शिवलिंग को क्षति पहुंची है। शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला कुमकुम और भस्म भी रसायन है। हिंदू मान्यता के अनुसार टूटे या क्षतिग्रस्त शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है और आमतौर पर इसे विसर्जित कर दिया जाता है।