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बार-बार कट रही वंदे भारत एक्सप्रेस की ‘नाक’, पर झटका झेल बचा रही यात्रियों की जान

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गुजरात में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन बार-बार मवेशियों से टकरा कर हादसे का शिकार हो रही है। मुंबई से गांधीनगर के बीच यह ट्रेन शुरू होने के एक माह में तीन बार ऐसे हादसे हो चुके हैं। गनीमत है कि टक्कर में इसके इंजन की ‘नाक’ ही क्षतिग्रस्त हुई और कोई जनहानि नहीं हुई। टूटी नाक की सर्जरी पर हजारों रुपये खर्च होते हैं। मुंबई-गांधीनगर वंदेभारत एक्सप्रेस 29 अक्तूबर को गुजरात के वलसाड़ में फिर गाय से टकरा गई थी। इससे ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वंदे भारत एक्सप्रेस के अगले हिस्से जिसे ‘नोज कोन’ कहा जाता है, इस तरह बनाया गया है कि हादसे का सारा झटका वही झेल जाए। ट्रेन में सवार यात्रियों व ट्रेन को नुकसान न पहुंचे। वंदे भारत ही नहीं, बल्कि अन्य प्रीमियम ट्रेनों के अगले हिस्से की बनावट इसी तरह रखी जाती है। ये नोज कोन फाइबर प्लास्टिक का होता है। झटके या हादसे के वक्त इसी हिस्से को नुकसान पहुंचता है और ट्रेन के अन्य हिस्से बच जाते हैं। इसी कारण अब तक हुए उक्त तीनों हादसों में इस ट्रेन की नाक ही क्षतिग्रस्त हुई। रेलवे सूत्रों का कहना है कि वंदे भारत ट्रेन के क्षतिग्रस्त नोज को बदलना आसान और अपेक्षाकृत कम खर्चीला है। इस नोज कवर की कीमत 15 हजार रुपये तक होती है। भारतीय रेलवे नेटवर्क के रूप में विश्व की चौथे नंबर की और यात्रियों की दृष्टि से दूसरे नंबर पर है। इस मामले में चीन सबसे आगे है। भारतीय रेलवे के अनुसार देश में ट्रेनों के मवेशियों से टकराने की रोज 22 घटनाएं होती हैं। इस साल अब तक 4,433 ट्रेनें मवेशियों से प्रभावित हुई हैं। रेलवे के इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ शर्मा ने ट्रेनों से पशुओं के टकराने की घटनाओं को कम करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। पशु मालिकों व किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे रेल पटरियों के आसपास जानवरों को चराने के लिए नहीं लाएं और ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। कुछ पशु मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है।

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