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बार्ज पर तैनात 49 के मिले शव, शिवसेना ने पेट्रोलियम मंत्री को घेरा, ‘इस्तीफा देंगे या तैरते शवों पर बैठ घी खाएंगे’

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मुंबई, ताउते तूफान के कारण बार्ज पी 305 में सवार 49 लोगों के शव अब तक बरामद हो चुके हैं जबकि 26 की तलाश जारी है। इस मामले में शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय पेज के जरिए ओएनजीसी और पेट्रोलियम मंत्री पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस्तीफे की मांग की। शिवसेना ने इस पूरी घटना को समुद्र में नरसंहार बताया है।
सामना के संपादकीय में शिवसेना सांसद संजय राउत ने लिखा है, ‘ओएनजीसी के खिलाफ सदोष मनुष्य वध का गुनाह दाखिल किया जाए, इतनी भयंकर लापरवाही यहां बरती गई।’ उन्होंने लिखा कि ताउते को लेकर मौसम वैज्ञानिकों और उपग्रहों ने चेतावनी दी थी, फिर भी ओएनजीसी ने अनदेखी की और बार्ज पर काम कर रहे 700 मजदूरों को वापस नहीं बुलाया। बार्ज डूब गया और 75 मजदूरों की मौत हो गई। 49 शव मिल गए हैं और 26 लोग लापता हैं।
‘कर्मचारियों का ध्यान रखने में कंजूसी कर गई कंपनी’
संपादकीय में लिखा गया, ‘नवरत्न मानी जानेवाली सरकारी कंपनियों में ओएनजीसी शीर्ष पर मौजूद उपक्रम है। इसके भी निजीकरण किए जाने के प्रयास शुरू हो ही गए हैं। इन्हीं पेट्रोलियम और तेल कंपनियों ने हजारों करोड़ की निधि पीएम केयर फंड को दी, लेकिन अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने के मामले में ये कंपनियां कंजूसी कर गई।’
पेट्रोलियम मंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा गया, ‘देश के पेट्रोलियम मंत्री, ओएनजीसी के अध्यक्ष, उनके संचालक मंडल की इस दुर्घटना में कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? इतने बड़े तूफान से होनेवाले नुकसान का पूर्वानुमान होने के बावजूद उन्होंने एहतियातन क्या उपाय किए, इसकी जांच होना आवश्यक है।’
‘धर्मेंद्र प्रधान इस पूरे समय कहां रहे’
संजय राउत ने संपादकीय में कहा, ‘पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस पूरे समय में कहां हैं? ये सवाल ही है। इस भयंकर हादसे में 75 के आस-पास कर्मचारी बेवजह जान गंवा बैठे। इस सदोष मनुष्य वध की नैतिक जिम्मेदारी लेकर पेट्रोलियम मंत्री इस्तीफा देनेवाले हैं क्या? या तैरती लाशों पर बैठकर घी ही खाओगे? तूफान का पूर्वानुमान होने के बावजूद जो सोए रहे, वही अपराधी हैं। उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए।’
शिवसेना का दावा- बार्ज पी 305 दुरुस्त नहीं था
सामना में यह भी दावा किया गया, ‘जिस तैरते हुए प्लेटफॉर्म पर खौलते हुए समुद्र में ये कर्मचारी थे, वह बार्ज दुरुस्त नहीं था। संकट के समय जान बचाने के लिए कोई भी सुविधा वहां नहीं थी। किसी तरह की आपातकालीन व्यवस्था नहीं थी। इसलिए ये कर्मचारी तूफान आने से पहले ही मौत के जबड़े में काम कर रहे थे।’

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