हमारा देश प्रतिभाओं से भरा पड़ा है। देश के कोने-कोने से हर रोज किसी न किसी प्रतिभावान शख्स की कहानी सामने आती रहती है। ऐसी ही कहानी आज एक बार फिर से हमारे सामने आई है, जिसने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा कभी समस्याओं को अपने मंजिल के रास्ते का रोड़ा नहीं बनने देती। प्रतिभा अपने रास्ते की हर समस्या को पार कर के मंजिल को प्राप्त कर लेती है। आइए जानते हैं कहानी बिहार के दिव्यांग छात्र नंदलाल की..
नंदलाल के दोनों हाथ नहीं हैं
मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर नगर इलाके के संत टोला के रहने वाले नंदलाल अपने दोनों हाथों को खो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक कई साल पहले करंट लगने के कारण उसके दोनों हाथ कट गए थे। हालांकि, इससे उनका सफर वहीं पर नहीं रुका। आगे चलकर नंदलाल के दादाजी ने उन्हें हिम्मत दी और पैरों से लिखना सिखाया।
बीए की परीक्षा में हो रहे शामिल
नंदलाल वर्तमान में मुंगेर के आरएस कॉलेज में बीए की परीक्षा में भाग ले रहे हैं। यहीं पर उनकी तस्वीर वायरल हुई है। वह पैरों से लिख कर सवालों का जवाब दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर वायरल होते ही हर कोई उनके इस हौसले को सलाम कर रहा है।
आईएएस बनने का है सपना
आर्थिक हालत कमजोर होने के बाद भी नंदलाल अपने हौसले को मजबूत बनाए रखे हुए हैं। बीए के के बाद वह बीएड और इसके बाद वह आईएएस बनने का सपना देख रहे हैं। बता दें कि उन्होंने साल 2017 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा भी साइंस स्ट्रीम से प्रथम श्रेणी में पास की थी। अब वह अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई अर्थशास्त्र से कर रहे हैं।
दिव्यांगता को नहीं बनने दिया बेबसी
आम तौर पर ऐसे हालात में कोई भी आम इंसान अपना जीवन समाप्त समझ लेता है। लेकिन नंदलाल ने अपनी दिव्यांगता को कभी बेबसी नहीं बनने दिया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जीवन में कुछ कर दिखाने की ठान ली है। नंदलाल के इस हौसले को हमारा भी सलाम।
आम तौर पर ऐसे हालात में कोई भी आम इंसान अपना जीवन समाप्त समझ लेता है। लेकिन नंदलाल ने अपनी दिव्यांगता को कभी बेबसी नहीं बनने दिया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जीवन में कुछ कर दिखाने की ठान ली है। नंदलाल के इस हौसले को हमारा भी सलाम।