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भारतीय कंपनियों के लिए साइबर जोखिम सबसे बड़ा खतरा; पीडब्ल्यूसी के ग्लोबल रिस्क के अध्ययन में खुलासा

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भारतीय कंपनियां साइबर जोखिम को सबसे बड़ा खतरा मानती है। यही वजह है कि अब भारतीय कंपनियां साइबर सुरक्षा को मजबूत करने पर खासा ध्यान दे रही है। 2022 से इसकी तुलना करे तो 2023 में साइबर सुरक्षा तीसरे स्थान की जगह पहले स्थान पर पहुंच गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले साल यह जहां तीसरी प्राथमिकता थी, वहीं अब पहली प्राथमिकता बन गई है। पीडब्ल्यूसी के ग्लोबल रिस्क सर्वे, 2023 में 38 फीसदी प्रतिभागियों ने अपने लिए साइबर जोखिम को सबसे बड़ा खतरा करार दिया। भारत केंद्रित यह सर्वें 67 क्षेत्रों में व्यापार और जोखिम प्रबंधन संभालने वाले लीडर्स (सीईओ, बोर्ड, जोखिम प्रबंधन, संचालन, प्रौद्योगिकी, वित्त, ऑडिट) की 3,910 सर्वे प्रतिक्रियाओं पर आधारित हैं। इस सर्वे में 163 भारतीय संगठनों को शामिल किया गया था। सर्वे के मुताबिक, अन्य डिजिटल और प्रौद्योगिकी जोखिम भारतीय व्यापार जगत के लिए एक बड़ी चिंता (35 प्रतिशत) का विषय हैं। निष्कर्ष बताते हैं कि भारतीय संगठन इससे निपटने के लिए साइबर सुरक्षा में खुलकर निवेश करना चाहते हैं। करीब 55 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि अगले एक से तीन साल में साइबर सुरक्षा उपकरणों पर निवेश करेंगे।
 वैश्विक स्तर पर 61% संगठन साइबर जोखिम को कम करने पर दे रहे ध्यान
सर्वे के मुताबिक, 55 फीसदी ही उत्तरदाताओं ने कहा कि एआई, मशीन लर्निंग और ऑटोमेशन प्रौद्योगिकियों में निवेश की योजना बना रहे हैं। इन निवेशों के मद्देनजर 71 प्रतिशत भारतीय संगठन जोखिम प्रबंधन और अवसर की पहचान के लिए साइबर सुरक्षा और आईटी डेटा एकत्र और विश्लेषण कर रहे हैं। वहीं, वैश्विक स्तर पर 61 प्रतिशत संगठन ऐसा कर रहे हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में रिस्क कंसल्टिंग पार्टनर एंड लीडर शिवराम कृष्णन कहते हैं कि 2023 का ग्लोबल रिस्क सर्वे दर्शाता है कि भारतीय बिजनेस लीडर जोखिम लेने के लिए व्याकुल हैं और साथ ही इन जोखिमों के कारण उत्पन्न अवसरों को भी पहचान रहे हैं। मानसिकता में यह बदलाव किसी संगठन की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जोखिम प्रबंधन के साथ हितधारकों के लिए मूल्यों पर टिका रहना भी सुनिश्चित करेगा।